- PM नरेंद्र मोदी ने NDTV वर्ल्ड समिट में नक्सलवाद पर चर्चा की थी. पीएम ने कहा था जल्द देश इससे मुक्त होगा.
- छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और गरियाबंद में नक्सलियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण की प्रक्रिया शुरू की है.
- उदंती एरिया कमेटी के नक्सली नेता सुनील ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की सार्वजनिक अपील की है.
Naxalite Surrender: 17 अक्टूबर को NDTV वर्ल्ड समिट के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नक्सल मुक्त भारत के अभियान पर लंबी चर्चा की थी. पीएम मोदी ने भारत में नक्सलियों के लाल गलियारा के सिमटने की बात की थी. उन्होंने बताया था कि 2013 में देश के 125 जिलों में फैला नक्सलवाद अब मात्र 11 जिलों तक रह गया है. इन जिलों से भी नक्सली तेजी से आत्मसमर्पण करते हुए मुख्य धारा में वापस आ रहे हैं. पीएम मोदी ने यह भी कहा था अब वो दिन दूर नहीं, जब भारत नक्सल माओवाद के आतंक से मुक्त हो जाएगा.
जगदलपुर के बाद अब गरियाबंद में भी नक्सली सरेंडर की अपील
पीएम मोदी की अपील का असर छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है. जगदलपुर में 210 नक्सलियों के सरेंडर के बाद अब गरियाबंद में भी नक्सलियों ने हथियार डालने की घोषणा की है. उदंती एरिया कमेटी के नक्सली लीडर सुनील ने पर्चा जारी कर इसकी जानकारी दी है.
'आज की स्थिति में हथियार के साथ लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती'
उदंती एरिया कमेटी के नक्सली लीडर सुनील ने अपने साथियों से भी हथियार डालने की अपील की है. नक्सल लीडर सुनील ने पर्चा में लिखा कि आज की परिस्थितियों के अनुसार हथियार के साथ लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती. इसलिए हथियार छोड़ रहे हैं. पहले सोनू दादा ने 60 साथियों के साथ महाराष्ट्र में सरेंडर किया. फिर लीडर रूपेश ने 210 साथियों के साथ हथियार छोड़ा.
बीते दिनों में महाराष्ट्र और बस्तर में बड़े पैमाने पर हुए सरेंडर
यह पत्र महाराष्ट्र और बस्तर क्षेत्र में हालिया बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पणों के बाद आया है. पत्र में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान परिस्थितियां सशस्त्र संघर्ष के अनुकूल नहीं रही हैं, सुरक्षा बलों का दबाव बढ़ गया है और संगठन ने क्रांति को अपेक्षित रूप से आगे नहीं बढ़ा पाया.
16-17 अक्टूबर को बड़े पैमाने पर नक्सलियों का सरेंडर
पत्र में लिखा है, "16 अक्टूबर को महाराष्ट्र में सोनू दादा ने 61 कामरेडों के साथ और 17 अक्टूबर को बस्तर में रूपेश दादा उर्फ सतीश दादा ने 210 कामरेडों के साथ सशस्त्र आंदोलन को विराम दिया है. परिस्थितियां अब फोर्स के दबाव में ऐसी नहीं रहीं कि क्रांति को पहले की तरह आगे बढ़ाया जा सके. इसलिए हम भी जनांदोलनों के साथ रहकर जनता की समस्याओं को हल करने की दिशा में काम करेंगे."
गोबरा, सीनापाली, एसडीके और सीतानदी के माओवादियों के सरेंडर की अपील
पत्र में यह भी लिखा गया है कि उदंती टीम अब गरियाबंद में सशस्त्र आंदोलन को विराम देने जा रही है. उन्होंने अन्य यूनिटों (गोबरा, सीनापाली, एसडीके और सीतानदी) के माओवादियों से भी अपील की है कि वे हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा से जुड़ें.
तीन दिन में 468 नक्सलियों का सरेंडर
पत्र के अंत में सुनील ने लिखा कि संगठन अब जनता के साथ रहकर जनसंघर्ष को नए रूप में आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने जनता से भी अनुरोध किया कि यह संदेश जल्द से जल्द अन्य कामरेडों तक पहुंचाया जाए. बता दें कि तीन दिन के अंदर तकरीबन 468 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. इसमें सबसे अधिक छत्तीसगढ़ में 405, जबकि महाराष्ट्र में 61 नक्सलियों ने हथियार डाले हैं.
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