युद्ध से प्रभावित यूक्रेन में एक भारतीय छात्र को जान गंवानी पड़ी है. कर्नाटक के हावेरी के अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्र नवीन शेखरप्पा (Naveen Shekharappa) की मौत उस समय हुई जब रूसी सैनिकों ने मंगलवार को एक सरकारी बिल्डिंग को विस्फोट कर उड़ा दिया. नवीन के रूममेट का कहना है कि उसका दोस्त आज जिंदा होता लेकिन जरूरी चीजों और खाने की सामग्री खत्म होने की चिंता उस पर भारी पड़ गई. रूममेट्स ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में पिछले पांच दिनों से अपनी अपार्टमेंट बिल्डिंग के बेसमेंट में पनाह ले रखी थी.
अपने दोस्त को गंवाने वाले श्रीकांत ने कहा कि वे और दो अन्य साथी अभी बेसमेंट में ही रहेंगे क्योंकि रूसी सेना की बमबारी और मिसाइल हमलों के चलते रेलवे स्टेशन पहुंचने का कोई भी प्रयास खतरे से खाली नहीं होगा. श्रीकांत ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया, 'हमारे पास कल रात ये पर्याप्त फूड नहीं था, ऐसे में हम आज सुबह से खाने के इंतजाम के लिए प्रयास कर रहे थे. कल शाम तीन बजे से सुबह छह बजे कर्फ्यू था. आज सुबह जब मैं छह बजे उठा तो मैंने नवीन को मैसेज भेजा-तुम कहां हो? इस पर उसने मुझसे कुछ राशि ट्रांसफर करने को कहा ताकि दुकान से और सामान ला सके.' नवीन शेखरप्पा किराने का सामना खरीदने के लिए अपने अपार्टमेंट से करीब 50 मीटर दूर स्टोर पहुंचा था.
श्रीकांत ने रुंधे गले से बताया, 'मैंने उससे कहा, 'मैं राशि ट्रांसफर कर रहा हूं इससे 10 मिनट बाद मैंने बमबारी और मिसाइल की आवाज सुनी. मैंने उसे फोन लगाया लेकिन उसने नहीं उठाया. इसके करीब आधे घंटे बाद जब मैं फिर फोन लगाने की कोशिश की तो एक यूक्रेनियन में कॉल रिसीव किया. उन्होंने कुछ कहा कि मैं समझ नहीं सका. ऐसे में मैंने अपने पड़ोसी को फोन दिया जो हमारे साथ शेल्टर में था. वह महिला बोल रही थी और उसने रोना शुरू कर दिया. मैंने पूछा कि क्या हुआ तो उसने बताया कि वह (नवीन) नहीं रहा.'
श्रीकांत ने बताया कि नवीन एक जूनियर स्टूडेंट के साथ स्टोर गया था जिसने शॉप नजदीक होने के कारण जूते भी नहीं पहने हुए थे. श्रीकांत ने कहा, 'मैं और मेरा एक दोस्त इस स्टोर पर गए थे. स्टोर बंद था और वहां बमबारी या मिसाइल हमले के कोई चिह्न नहीं थे. हमें लगा कि वह गोली लगने से मारा गया है. हम नहीं जानते कि उसका शव कहां है, हमारे पास इस बारे में पूरी जानकारी तक नहीं है. 'श्रीकांत ने बताया कि खारकीव में कर्नाटक के करीब 120 और भारत के करीब 2000 स्टूडेंट हो सकते हैं. बहुत अधिक बमबारी के कारण हम बाहर जाने से डरते हैं, हर कोई जो बाहर जाता है, अपने जोखिम पर ही ऐसा कर रहा है. हमें आज शेल्टर में रहने वाले किसी शख्स से चावल मिला है. सीढ़ियों से ऊपर हमारा अपार्टमेंट है लेकिन ऊपर जाकर खाना बनाने की स्थिति में नहीं है.
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