सरकार ने राज्य सभा से वापस क्यों लिया वक्फ बिल, चुनाव के बाद कितना बदलेगा सदन का गणित

नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्य सभा से वक्फ बिल को वापस ले लिया है.वहीं लोकसभा में बिल को गुरुवार को पेश किया गया.लेकिन सदस्यों की आपत्तियों को देखते हुए सरकार ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का फैसला किया. आइए जानते हैं इसके पीछे कारण क्या है.

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नई दिल्ली:

सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ बोर्ड विधेयक पेश किया. इसका विपक्ष ने काफी विरोध किया. इसको लेकर सदन में भारी हंगामा हुआ. बिल पर बीजेपी के कुछ सहयोगियों ने भी कुछ सुझाव दिए. इसके बाद सरकार ने बिल को चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का फैसला किया.इसके साथ ही सरकार ने राज्य सभा से इस बिल को वापस ले लिया है.नरेंद्र मोदी की सरकार में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी बिल को जेपीसी को भेजा गया हो. सरकार इस बिल को राज्य सभा में संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है.ऐसा इसलिए है कि तबतक राज्य सभा में बीजेपी की ताकत भी बढ़ जाएगी, ऐसे में उसे बिल को पास कराने में कोई परेशानी नहीं आएगी.

राज्य सभा में बीजेपी की ताकत

आज के समय राज्य सभा में बीजेपी के 87, जनता दल यूनाइटेड के चार, एनसीपी के दो, असम गण परिषद के एक, एनपीपी का एक, आरपीआई (अठावले) का एक,शिवसेना का एक.ये सभी एनडीए में शामिल हैं.इसके अलावा छह नामित सदस्य है.नामित सदस्यों को आमतौर पर सरकार का ही समर्थन माना जाता है.शीत कालीन सत्र तक इस संख्या में बदलाव आने की उम्मीद है.

दरअसल अगले महीने राज्य सभा की 12 सीटों के लिए उपचुनाव होना है.माना जा रहा है कि बीजेपी में इनमें से 10 सीटें आसानी से जीत लेगी. इसके अलावा राज्य सभा में नामित होने वाले सदस्यों की चार सीटें भी जुलाई में खाली हुई हैं.सरकार इन पर भी तब तक नियुक्ति करवा सकती है.इससे राज्य सभा में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लेगा. इससे उसे इस बिल का पास करवाने में आसानी होगी.इसलिए सरकार ने बिल को राज्यसभा से वापल लिया है.

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मोदी सरकार ने जेपीसी को क्यों भेजा वक्फ बिल

नरेंद्र मोदी की तीनों सरकार में ऐसा पहली बार हुआ जब सदन में कोई बिल पारित न हो पाया हो और उसे जेपीसी को भेजा गया हो. केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया. उन्होंने बिल पर हुई चर्चा के बाद दलों की मांग के मुताबिक विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया, ''संयुक्त संसदीय समिति का गठन करें और विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए उसके (जेपीसी के) पास भेजें. विधेयक पर चर्चा के लिए अधिक से अधिक हितधारकों को बुलाएं, उनकी राय सुनें. इसे (विधेयक को) समिति को भेजें, और भविष्य में हम उनके (सदस्यों के) सुझावों को खुले दिल से सुनेंगे.''लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा,''मैं सभी दलों के नेताओं से बात कर संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा.'' 

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लोकसभा में चर्चा के दौरान एनडीए के दो प्रमुख घटक जेडीयू और टीडीपी ने विधेयक का समर्थन किया.लेकिन टीडीपी ने विधेयक को संसदीय समिति को भेजने की पैरवी की. 

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