सैनिकों के परिवारों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता योजना शुरू करेगा नालसा

जम्मू और कश्मीर में तैनात एक जवान केरल स्थित अपने घर पर कानूनी विवाद का व्यक्तिगत रूप से निपटारा नहीं कर सकता. नालसा वीर परिवार सहायता योजना देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों की मदद के लिए है. कानूनी बिरादरी उनके दूर-दराज के घरों में भी उनके अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए सजग रहेगी.

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नई दिल्ली:

विषम परिस्थितियों में देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे जवानों के लिए न्यायपालिका से एक बड़ी खबर है. अब से सीमाओं पर तैनात सैनिकों के परिवारों के सामने आने वाले किसी भी कानूनी मुद्दे पर न्यायपालिका अदालतों में लड़ने में मदद करेगी और सैनिक इन कानूनी मुद्दों को में उलझने की बजाए बेफिक्र देश की सेवा कर सकेंगे. 

सवाल है कि न्यायपालिका सैनिकों की कैसे मदद करेगी? इसके तौर-तरीके क्या हैं. इन सभी सवालों के जवाब शनिवार को श्रीनगर में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में दिए जाएंगे. नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष और भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्य कांत NALSA वीर परिवार सहायता योजना 2025 का शुभारंभ करेंगे

इस शुभारंभ के दौरान, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी उपस्थित रहेंगे. दरअसल, सैनिकों के कानूनी मुद्दों को सुलझाने का विचार सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस  सूर्यकांत ने रखा था, जो 24 नवंबर, 2025 को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे.

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सूत्रों ने NDTV को बताया, "ऑपरेशन सिंदूर के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने महसूस किया कि न्यायपालिका को इन सैनिकों के लिए कुछ करना चाहिए जो हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए डटे रहते हैं."

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इस योजना के लागू होने के बाद हमारे सैनिक बिना किसी घरेलू दबाव और खींचतान के देश की रक्षा कर सकेंगे. यह योजना न केवल सैनिकों के लिए है, बल्कि हमारे अर्धसैनिक बलों के लिए भी है जो दूर-दराज के स्थानों पर तैनात हैं. यह योजना उन सैनिकों के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगी जो अपने घर, माता-पिता, जीवनसाथी और बच्चों को छोड़कर धूप से सराबोर समुद्र तटों से लेकर बर्फ से ढके ग्लेशियरों, सूखे रेगिस्तानों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक, विशाल शहरों से लेकर बीहड़ जंगलों तक, सबसे विषम परिस्थितियों में देश की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं.

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दूरस्थ सीमाओं पर तैनात सैनिकों को एक अलग ही असुविधा का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे न तो अपनी कानूनी चिंताओं को दूर करने के लिए अपनी ड्यूटी छोड़ सकते हैं और न ही उसे प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं.

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जम्मू और कश्मीर में तैनात एक जवान केरल स्थित अपने घर पर कानूनी विवाद का व्यक्तिगत रूप से निपटारा नहीं कर सकता. नालसा वीर परिवार सहायता योजना देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों की मदद के लिए है. कानूनी बिरादरी उनके दूर-दराज के घरों में भी उनके अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए सजग रहेगी.

कानून द्वारा स्थापित नालसा 1995 से कार्य कर रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य समाज के कमज़ोर वर्गों को मुफ़्त और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक या अन्य कमज़ोरियों के कारण किसी भी नागरिक को न्याय से वंचित न किया जाए. अब नालसा सैनिकों की भी देखभाल करेगा. इससे इसके कार्य में एक नया आयाम जुड़ गया है. नालसा विभिन्न स्तरों—राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला और तालुका—पर गतिविधियों की देखरेख और समन्वय करता है, जिससे पूरे देश में एक समान और सुलभ कानूनी सहायता प्रणाली सुनिश्चित होती है.

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