नलिनी से संथन तक, राजीव गांधी के 7 हत्यारों का क्या हुआ, वे आज कहां हैं, जानिए

सभी सात दोषियों को 21 मई, 1991 को हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में उनकी भूमिका के लिए पहले मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, समय के साथ, उनकी सजा कम कर दी गई. आखिर में करीब 31 साल जेल में रहने के बाद उन्हें नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया.

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फाइल फोटो
 नई दिल्ली:

देश पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी. घटना के समय वो वहां एक चुनावी रैली को संबोधित करने गए थे. इस हत्याकांड में राजीव गांधी समेत 16 लोगों की मौत हुई थी. इसमें आत्मघाती हमला करने वाली 22 साल की कलैवानी राजरत्नम ऊर्फ धनु भी शामिल थी. इस हत्याकांड के लिए श्रीलंकाई अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) को जिम्मेदार ठहराया गया था. राजीव गांधी ने श्रीलंका में एलटीटीई पर नियंत्रण के लिए सेना की एक टुकड़ी भेजी थी. शांति सेना के नाम पर की गई कार्रवाई से एलटीटीई नाराज था.इसलिए उसने योजना बनाकर राजीव की हत्या की थी. यह भारत में आत्मघाती हमले की पहली घटना थी.

राजीव हत्याकांड की जांच किसने की 

इस मामले की जांच डॉक्टर डीआर कार्तिकेयन के नेतृत्व वाले एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने किया था.डॉक्टर कार्तिकेयन उस समय सीआरपीएफ के आईजी थे.इस एसआईटी ने एलटीटीई को सात सदस्यों को गिरफ्तार किया था.वहीं इस मामले के मुख्य अभियुक्त शिवरासन ने गिरफ्तारी से पहले ही साइनाइड का कैप्सूल खाकर आत्महत्या कर ली थी. 

राजीव हत्याकांड में ट्रायल कोर्ट ने 26 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. इनमें से 19 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने मई 1999 में बरी कर दिया था. बाकी के सात में से चार अभियुक्तों नलिनी, वी श्रीहरन उर्फ ​​मुरुगन, एजी पेरारिवलन और टी सुथेंद्रराजा उर्फ ​​संथन को फांसी की सजा सुनाई गई थी.वहीं रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. इन दोषियों में से संथन, ​​मुरुगन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस श्रीलंका के निवासी थी.

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेल से बाहर आती नलिनी.

जब सोनियां गांधी ने पति के हत्यारे की सजा कम करवाने के लिए की अपील

इस मामले में दोषी ठहराई गई नलिनी को जब गिरफ्तार किया गया था, तब वह गर्भवती थी. उसे मौत की सजा सुनाई गई. लेकिन सोनिया गांधी की अपील के बाद नलिनी की सजा उम्र कैद में बदल दी गई थी. सोनिया ने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है.

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लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के बाद इस मामले के सभी दोषियों को मई से नवंबर 2022 तक जेल से रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 में दिए गए असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल कर पेरारिवलन को रिहा कर दिया था. उसने इस मामले में 30 साल जेल में बिताए. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई (आज के सीजेआई) और जस्टिस बीवी नागरत्न के बेंच ने कहा था कि एजी पेरारिवलन के मामले में दिया गया फैसला सभी दोषियों पर लागू होगा.

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अब कहां हैं राजीव गांधी के ये हत्यारे

नलिनी श्रीहरन - नलिनी को 30 साल से ज़्यादा जेल में रहने के बाद नवंबर 2022 में रिहा किया गया था. बता दें कि साल 2000 में नलिनी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. यह फैसला सोनिया गांधी की अपील से प्रभावित था क्योंकि सजा सुनाए जाने के वक्त वह गर्भवती थी. रिहाई के बाद से वह भारत में ही हैं. 

वी. श्रीहरन उर्फ ​​मुरुगन मुरुगन - नलिनी का पति और LTTE का कार्यकर्ता भी नवंबर 2022 में रिहा हुआ था. इसके बाद अप्रैल 2024 में, वह दो अन्य दोषियों के साथ श्रीलंका लौट गया था. 

टी. सुथेंद्रराजा उर्फ ​​संथन -  संथन को भी नवंबर 2022 में रिहा किया गया था, लेकिन श्रीलंका में निर्वासन की प्रतीक्षा करते समय दिल का दौरा पड़ने और क्रिप्टोजेनिक सिरोसिस के कारण फरवरी 2024 में उसका निधन हो गया.

रॉबर्ट पायस -  नवंबर 2022 में रिहा होने के बाद पायस अप्रैल 2024 में श्रीलंका लौट गया था. 

जयकुमार - जयकुमार को नवंबर 2022 में रिहा किया गया और अप्रैल 2024 में श्रीलंका वापस लौट गया. 

ए.जी. पेरारिवलन - पेरारिवलन को मई 2022 में रिहा कर दिया गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दया याचिका पर निर्णय में देरी का हवाला देते हुए अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया.

Timeline: राजीव गांधी की हत्या से लेकर हत्यारों की रिहाई तक

21 मई, 1991
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर की चुनावी रैली में एक आत्मघाती विस्फोट से हत्या. 

20 मई, 1992
CBI ने श्रीपेरंबदूर में टाडा (TADA) की विशेष अदालत में चार्जशीट दायर की. 

28 जनवरी, 1998
TADA कोर्ट ने सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई.

11 मई, 1999
सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी, संथन, मुरुगन और पेरारिवलन को छोड़कर बाकी तीन की मौत की सजा का आजीवन कैद में बदला. बाकी 19 बरी हुए.

28 अप्रैल, 2000
सरकार ने संथन, मुरुगन और पेरारिवलन को क्षमादान देने की याचिका को आगे बढ़ाया.

12 अगस्त, 2011
राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर दी. 

26 अगस्त, 2011
तीन दोषियों संथन, मुरुगन और पेरारिवलन  को 9 सितंबर 2011 को फांसी देने का टाइम फिक्स हुआ. 

30 अगस्त, 2011
तमिलनाडु विधानसभा ने प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका की समीक्षा करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्होंने अपने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की अपील की थी. (यहां पढ़िए पूरी खबर)

30 अगस्त, 2011
मद्रास हाई कोर्ट ने तीनों की फांसी पर रोक लगाई. 

18 फरवरी, 2014
सुप्रीम कोर्ट ने तीनों हत्यारों की सजा को उम्रकैद में बदला (यहां पढ़िए पूरी खबर)

नवंबर, 2022
पूर्व PM राजीव गांधी के सभी हत्यारों नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पॉयस को सुप्रीम कोर्ट ने किया रिहा (यहां पढ़िए पूरी खबर)
 

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