Exclusive: मुंडका आग हादसे में बुरी तरह जले 19 शवों की नहीं हो पाई पहचान, दर-दर भटक रहे परिवारवाले

इस हादसे में मारे गए 27 लोगों में 19 की पहचान अब तक नहीं हो पाई है, क्योंकि उनके शव बुरी तरह जल गए हैं. शवों की पहचान करने का ज़िम्मा दिल्ली सरकार की फॉरेंसिक साइंस लैब के पास है.

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दिल्ली के मुंडका में लगी आग के पीड़ित परिवारों का दर्द, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली:

दिल्ली के मुंडका इलाके (Mundka fire case) में एक इमारत में आग लगने के मामले में कई परिवार दर दर भटक रहे हैं. उन्हें ये भी पता नहीं कि उनके अपने इस दुनिया में हैं भी या नहीं. दरअसल, इस हादसे में मारे गए 27 लोगों में 19 की पहचान अब तक नहीं हो पाई है, क्योंकि उनके शव बुरी तरह जल गए हैं. शवों की पहचान करने का ज़िम्मा दिल्ली सरकार की फॉरेंसिक साइंस लैब के पास है. एफएसएल रोहिणी की एक बड़ी टीम डीएनए जांच के जरिये इस काम को अंजाम देगी. उम्मीद है कि 2 हफ्ते के अंदर सभी शवों की पहचान हो जाएगी. मृतकों का आंकड़ा भी बढ़ सकता है. एफएसएल को जांच के लिए 100 सैम्पल मिले हैं. एफएसएल की डायरेक्टर दीपा वर्मा से हमारे सहयोगी मुकेश सिंह सेंगर ने बात की. 

अभी 19 शव ऐसे हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाई है, कैसे होगी पहचान ?

जवाब- हमारे पास सैम्पल फ़ॉरेंसिक डीएनए जांच के लिए जमा कराए जाते हैं. उस फ़ॉरेंसिक जांच से हम डीएनए प्रोफाइल जनरेट करते हैं, मृतक का भी और उसके रिश्तेदारों का भी. फिर डीएनए मैच करने से पता चलता है कि ये पर्सन उसका रिश्तेदार है कि नहीं.

अभी कितने सैम्पल आपके पास आए हैं और कितना समय लगेगा इनकी जांच करने में, पहचान करने में ?

जवाब-करीब 100 सैम्पल हैं हमारे पास जिसमे विक्टिम का सैंपल या मृतक का सैंपल या रिश्तेदार का सैंपल, जांच के समय से तय होगा कि वो जो अवशेष मिला है वो किस तरह का है, क्योंकि अलग-अलग बॉडी के जो सैंपल होते हैं, उनका एक्जामिनेशन टाइम अलग-अलग होता है. तो किस तरह का सैंपल मिला है और उसकी क्वालिटी क्या है, वो उस पर निर्भर करता है. फिर भी प्रायोरिटी पर हम इसकी जांच कर रहे हैं. हमारी टीम लगी हुई है.

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आम भाषा मे समझें तो डीएनए प्रोफाइलिंग क्या होती है?

जैसा कि आप जानते हैं कि हर व्यक्ति का डीएनए एक यूनिक होता है,जो उसकी निजता का सोर्स होता है. तो ये डिपेंड करता है कि उसके माता पिता से उसे किस तरह के अलील मिले हैं,अगर माता पिता के अलील से मैच हो जाती है जो उसी से उसकी कनेक्टिविटी फिक्स की जाती है,अगर ये मैचिंग फिक्स नहीं हो रही तो फिर ये माना जाता है कि बायोलॉजिकली वो उससे लिंक नहीं है.

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जैसा आपने कहा कि 100 सैम्पल आए हैं ,हालांकि कुल 27 लोगों की मौत हुई है, कुछ लोग मिसिंग भी हैं तो क्या मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है ?

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जवाब - इस विषय के बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगी क्योंकि ये जांच में पता चलेगा कि कितने रिफरेंस सैंपल हैं और कितने मृतकों के हैं. 

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इसकी जांच के लिए कुल कितने लोग काम कर रहे हैं क्योंकि मृतकों के घरवाले इंतज़ार कर रहे हैं कि उनका शव मिल जाये तो कुल कितना समय लगेगा?

जवाब- काफी बड़ी टीम काम कर रही है,अभी कितना समय लगेगा इसके बारे में नहीं बता सकते.

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