मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट आज सुना सकती है फैसला, 12 दोषियों की सजा पर होगा अंतिम निर्णय

इस मामले में नवंबर 2006 में चार्जशीट दाखिल हुई थी. इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया. इनमें से 5 को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 7 को उम्रकैद मिली.

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मामले में 5 को मौत की सजा सुनाई गई है, जबकि 7 को उम्रकैद मिली थी.
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  • 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात अलग-अलग जगहों पर हुए बम धमाकों में 189 लोग मारे गए थे.
  • महाराष्ट्र एटीएस ने इस मामले में कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 अन्य फरार घोषित थे.
  • 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराकर 5 को मौत और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
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मुंबई:

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट आज यानी सोमवार को अपना अहम फैसला सुना सकती है. करीब 19 साल बाद इस बहुचर्चित हमले के दोषियों की सजा पर अंतिम निर्णय आने वाला है. इस मामले में कुल 11 अपीलें हाईकोर्ट के सामने लंबित थीं. इनमें राज्य सरकार की ओर से दायर मौत की सजा की पुष्टि की याचिका भी शामिल है, वहीं दोषियों ने भी अपनी सजा और दोषसिद्धि को चुनौती दी थी.

11 जुलाई 2006 की शाम मुंबई की उपनगरीय रेल सेवा में महज 11 मिनट के भीतर सात अलग-अलग स्थानों पर हुए बम धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी. जबकि 827 से अधिक यात्री घायल हुए थे. इन धमाकों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था.

कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था

इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 अन्य को फरार घोषित किया गया, जिनमें से कई के पाकिस्तान में होने का शक है. जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था. नवंबर 2006 में चार्जशीट दाखिल हुई थी. इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया. इनमें से 5 को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 7 को उम्रकैद मिली.

2015 में ही राज्य सरकार ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद 2019 से 2023 के बीच दोषियों ने भी अपनी सजा और दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए अपीलें दाखिल कीं. हालांकि, सबूतों की भारी मात्रा और मामले की जटिलता के चलते यह अपीलें लंबे समय तक सुनवाई के लिए लटकी रहीं. कई बार मामले को अलग-अलग बेंचों के समक्ष सूचीबद्ध किया गया लेकिन नियमित सुनवाई नहीं हो सकी. आखिरकार, एक दोषी एहतेशाम सिद्दीकी द्वारा अपील की त्वरित सुनवाई की मांग को लेकर अर्जी दाखिल किए जाने के बाद हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई शुरू की और अब फैसला सुनाने जा रहा है.

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