Parliament winter session: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है. पूरे विपक्ष ने इस मामले में एक सुर में निलंबन वापस लिए जाने की मांग की है. सत्र के दूसरे दिन, मंगलवार को भी इस मामले की 'गूंज' सुनाई दी. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार की यह कार्रवाई सिलेक्टिव हैं और नियमों के खिलाफ है. मॉनसून सत्र में हंगामा करने के लिए सांसदों के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है.कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi)ने मंगलवार को इस मसले पर ट्वीट किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'किस बात की माफ़ी?संसद में जनता की बात उठाने की?बिलकुल नहीं!'
इस मसले पर केंद्रीय मंत्रीपीयूष गोयल ने कहा, 'जिन सांसदों को निलम्बित किया गया है अगर वो अपने व्यवहार के लिए सदन और सभापति से माफ़ी मांगे और साथ ही सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें तो सदन निलंबन वापिस लेने का निर्णय कर सकती है.' सांसदों के निलंबन मामले में राहुल गांधी के ट्वीट पर भी पलटवार करते हुए गोयल ने पूछा, 'क्या आप (राहुल गांधी) अपने सांसदों के कृत्य का समर्थन करते हैं. उच्च सदन के जिन 12 सांसदों को सोमवार को सस्पेंड किया गया, उनके नाम एल्मारम करीम (माकपा), फुलो देवी नेताम (कांग्रेस), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनोय विस्वाम (भाकपा), राजमणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन ( तृणमूल कांग्रेस), शांत छेत्री ( तृणमूल कांग्रेस), सैयद नासिर हुसैन ( कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी ( शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना) और अखिलेश प्रसाद सिंह ( कांग्रेस) हैं. उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी.
गौरतलब है कि संसद के मॉनसून सत्र में राज्यसभा में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी. इस समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ सोमवार को कार्रवाई की गई.