मध्य प्रदेश के कई अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों की जान पर बन आई है, क्योंकि ये अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं. राजधानी भोपाल में भी हालात काफी खराब हैं. इधर, सरकार का कहना है कि वो लगातार दिल्ली के संपर्क में हैं, ताकि ऑक्सीजन की उपलब्धता लगातार बढ़ती रहे. मंगलवार को मंडीदीप के अशोक राय भोपाल में सिटी अस्पताल के बाहर पड़े रहे. मंडीदीप के अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हुई तो अस्पताल ने कहीं और ले जाने को कह दिया. अशोक राय एक और अस्पताल में गये लेकिन भर्ती नहीं लिया गया. अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी आशीष गोस्वामी ने बताया कि हर दिन अस्पताल को 90 ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिये, लेकिन सिर्फ 30 मिल रहे हैं. ऑक्सीजन की कमी की वजह से मंगलवार सुबह एक मरीज की मौत हुई, दोपहर में चार, कुल 6 मौतें हुईं हैं. वहीं दूसरी तरफ, शासन प्रशासन के भय से कोई बोलना नहीं चाह रहा है. किसी तरह हिम्मत जुटाकर जब पीआरओ अधिकारी ने NDTV से बात की तो उनकी नौकरी छीन ली गई. आलम ये है कि पिछले 7 दिन से न सिलेंडर आया है ना डीलर आया है.
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इसी तरह, उज्जैन संभाग का आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज भी ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल प्रशासन का आरोप है कि कोरोना इलाज के लिए 19 करोड़ रुपए का भुगतान अब तक नहीं हुआ है, जिससे आगे चलकर कोरोना मरीजों के इलाज में दिक्कत आ सकती है. सरकार ने अस्पताल से कुल 200 बेड का अनुबंध किया है, जिसमें से 140 ऑक्सीजन और 60 साधारण हैं. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर मिल नहीं रहा है, और जो मिल भी रहा है तो, जो जंबो सिलेंडर पहले 4500 रुपये का था, उसके लिये अब 15 हजार मांगे जा रहे हैं. अस्पताल के डीएन डॉ एमके राठौर ने कहा कि, “ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं होगी तो 140 बेड चलाना मुश्किल हो जाएगा, हमारे स्टाफ का कहना है कि 70 या 60 बेड पर ऑक्सीजन दे सकते हैं. हम बढ़े दाम पर खरीद रहे हैं फिर भी सप्लाई बराबर नहीं हो रही है. सप्लायर लिखकर दे रहे हैं प्रति सिलेंडर 15 हजार रुपये लेंगे. सरकार की तरफ से लगभग 19 करोड़ रुपये भुगतान नहीं हुआ है. हम वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, हर दिन हमें पीपीई किट के 50 हजार रुपये, ऑक्सीजन सिलेंडर के दो-ढाई लाख देने होते हैं, पूरा अस्पताल कोविड के लिये सरकार ने ले लिया है. हमारी आमदनी खत्म कर दी. मुआवजा भी नहीं मिला है.”
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वहीं, उज्जैन के ही माधव नगर कोविड अस्पताल में बड़ी संख्या ऑक्सीजन की कमी की खबर सामने आ रही है. यहां सांस लेने की परेशानी के चलते कई मरीजों को ओपीडी में ही भर्ती कर फर्श पर लेटा दिया गया, और उन्हें वहीं पर ऑक्सीजन लगा दी. राजधानी भोपाल के अस्पतालों के हालात भी ठीक नहीं हैं. यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते न्यूरॉन अस्पताल ने मरीजों के परिजनों से बकायदा एक स्व घोषित फॉर्म भरवा लिया, जिसमें लिखा था- “अस्पताल में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की शॉर्टेज है. यदि ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से कोई अप्रिय घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी अस्पताल की नहीं होगी.” यह मामला सामने आने पर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ऐसा सिर्फ एक दिन किया गया था, लेकिन अब वो गंभीर मरीज भर्ती ही नहीं कर रहा है. अस्पताल के डॉ धनंजय मिश्रा ने कहा, “ऑक्सीजन और रेमेडिसिवियर की बहुत कमी है, इसलिये गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं. माइल्ड-टू-मोडरेट पेशेंट ही ले रहे हैं.”
प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि, "बेड तो मिल जाएं लेकिन ऑक्सीजन चाहिये. 8 अप्रैल को ऑक्सीजन 130 मीट्रिक टन थी, 9 अप्रैल को 180 मीट्रिक टन हुई. 12 अप्रैल को 267 मीट्रिक टन हुआ. मैं दिल्ली लगातार संपर्क में हूं. सबसे बात कर रहा हूं, ताकि ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ती रहे."
Video: मध्य प्रदेश : ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे अस्पताल