MP के चुनावी नतीजों को बीत गए 5 दिन, CM पर सस्पेंस के बीच अटकी बजट प्रक्रिया

मध्‍य प्रदेश पिछले दो महीने से चुनावी शोर में डूबा रहा. 3 दिसंबर को चुनावी नतीजे भी आ गए, जिनमें बीजेपी दो तिहाई बहुमत से जीती तो कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी. हालांकि इस शोर में एक अहम काम छूट गया और वो है बजट की तैयारी. 

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भोपाल:

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections) का परिणाम आ चुका है, लेकिन 5 दिनों के बाद भी सवाल यही है कि कौन बनेगा मुख्यमंत्री. राजनीतिक हलकों में इस देरी के कई मायने हैं, लेकिन प्रशासनिक हलकों में इस देरी से आम जनता को दिक्कत तय है. वैसे भी राज्य लाखों करोड़ के कर्जे में डूबा है और इस बार तो गुणा गणित की प्रक्रिया यानी बजट (Budget) का काम शुरू भी नहीं हुआ है. मध्‍य प्रदेश में 3 दिसंबर को चुनावी नतीजे आए थे, जिनमें बीजेपी दो तिहाई बहुमत से जीती तो कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी थी. 

हर साल नवंबर में बजट की तैयारी शुरू हो जाती है. वित्त विभाग सभी विभागों से उनकी मांग और मौजूदा खाते की हालत पर रिपोर्ट मांगता है. दूसरे चरण में उप सचिव स्तर के अधिकारी वित्त विभाग में अपने समकक्षों से मिलते हैं और अपनी मांगों को सूचीबद्ध करते हैं. बैठक का दूसरा दौर वित्त के अधिकारियों के साथ विभिन्न विभागों के प्रमुखों के बीच होता है. इसके बाद वित्त मंत्री स्तर और सरकार के प्रमुखों की सहमति से बजट को अंतिम रूप दिया जाता है. हालांकि इस बार अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है. 

दिसंबर के अंत तक सारी प्रक्रिया हो जाएगी : भार्गव 

भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि चुनाव के कारण से 2-3 महीने शून्यता की स्थिति रहती है. उन्‍होंने कहा कि दिसंबर के अंत तक सारी प्रक्रिया हो जाएगी. फरवरी में बजट सत्र होता है डेढ़ महीने में सब हो जाएगा. 

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बजट प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई : केके मिश्रा 

मध्‍य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्‍यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि अफसोस है कि मार्च में राज्य सरकार बजट आता है, जिसकी तैयारी नवंबर से प्रारंभ हो जाती है, लेकिन आज जब दिसंबर आधा बीतने को है, बजट की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई है. उन्‍होंने कहा कि राजनीति अलग है और संवैधानिक प्रक्रिया अलग है.  इसका आरंभ कब होगा कोई व्यक्ति जवाब देने को तैयार नहीं है, ये बहुत अफसोसनाक है. 

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9 महीने में 25 हजार करोड़ का कर्जा लिया 

31 मार्च 2023 तक राज्य पर 3.31 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, पिछले 9 महीने में 25,000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया जा चुका है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य का बजट 3,14,025 करोड़ रुपये है. 2023-24 में 2 लाख 25000 करोड़ की आमदनी का अनुमान है और खर्च 2,79,000 करोड़ यानी खर्च 54,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहने का अनुमान है. नई घोषणाओं के लिये 23000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. वहीं यदि लाडली बहना को 3000 रुपये प्रति माह दिए तो अकेले इस योजना पर सालाना 45000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 

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बजट प्रक्रिया शुरू नहीं होना बड़ी चिंता 

मध्‍य प्रदेश अपने जीएसडीपी से 30 प्रतिशत ज्यादा कर्ज ले चुका है. एक तर्क ये है कि कर्ज को बुनियादी सुविधाओं के विकास में खर्च करने से बाजार में मांग बढ़ती है, रोजगार मिलता है लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि हर शख्स ज्यादा कर्जदार होता है और वित्तीय संतुलन गड़बड़ा जाता है. हालांकि इस बार पहली फिक्र तो ये ही है कि अभी तक बजट का लेखा जोखा शुरू तक नहीं हुआ है. 

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