मां अस्पताल में ले रही थी आखिरी सांसें, बेटा लोगों को दे रहा था इंसाफ, SC के जज जस्टिस ओक की प्रेरक कहानी

यह कहानी सुप्रीम कोर्ट के एक जज की है. काम से प्रति समर्पण किसे कहते है... इसे आप इस कहानी में समझ सकेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय एस ओक.

'पिछले कई सालों से मां को वक्त नहीं दे पाया, अब रिटायर होने के बाद मां के साथ कुछ दिन रहूंगा ". बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय एस ओक ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा विदाई समारोह शुरू होने से पहले कुछ वकीलों से ये बात कही. लेकिन वो उस समय नहीं जानते थे कि जब वो ये बात कह रहे हैं, मुंबई की एक अस्पताल में भर्ती उनकी मां वासंती ओक अपनी अंतिम सांसें ले रही हैं.

शाम होते-होते जस्टिस ओक को ये खबर मिल गई कि उनकी मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं. उन्होंने ये इसकी सूचना CJI बी आर गवई और साथी जजों को दी और मुंबई के लिए रवाना हो गए. गुरुवार दोपहर मुंबई के ठाणे में उन्होंने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया.

मां के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद काम पर लौटे 

आमतौर पर परिवार में किसी का निधन होता है तो कई दिनों की रस्में होती हैं. लेकिन जस्टिस ओक पर एक और बड़ी जिम्मेदारी थी, जो केस उन्होंने सुनकर फैसले सुरक्षित रखे हैं उन पर फैसले सुनाना. जो गुरुवार को सुनाए जाने थे
सुप्रीम कोर्ट के टॉप सूत्रों के मुताबिक जस्टिस ओक ने तय किया कि वो मां के अंतिम संस्कार के बाद शुक्रवार को कोर्ट आएंगे और फिर फैसले सुनाएंगे और केसों की सुनवाई भी करेंगे. क्योंकि शुक्रवार को ही उनका आखिरी कार्यदिवस है. जस्टिस ओक 24 मई को रिटायर हो जाएंगे.

अपने काम के प्रति बेहद समर्पित थे जस्टिस ओक

सुप्रीम कोर्ट में उनके साथी जज भी बताते हैं कि उनकी संस्था के प्रति बहुत प्रतिबद्धता है. उनकी मां कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं. पिछले रविवार को जस्टिस ओक CJI गवई के सम्मान में आयोजित समारोह में शामिल होने गए थे. उनके साथ CJI गवई के अलावा जस्टिस सूर्य कांत व अन्य जज भी थे.  तब उन्होंने अस्पताल से अपनी मां से मुलाकात की थी.

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'जस्टिस ओक जैसे जज पीढ़ी में एक बार आते हैं'

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर ने कहा, 'जस्टिस एएस ओक जैसे जज पीढ़ी में एक बार आते हैं. अपने पहले नाम "अभय" की तरह वे निडरता, साहस, बेदाग चरित्र और बेदाग ईमानदारी की प्रतिमूर्ति हैं. उनके फैसले इन गुणों को दर्शाते हैं. कल अपनी मां को खोने के बावजूद जस्टिस ओक आज रात बाद में सुप्रीम कोर्ट में वापस आएंगे और कल अपनी सबसे बड़ी व्यक्तिगत त्रासदी के बीच आखिरी बार बेंच की शोभा बढ़ाएंगे. हम भाग्यशाली हैं कि हमें इस देश के अब तक के सबसे महान न्यायाधीशों में से एक के साथ समय बिताने का मौका मिला है."

जस्टिस ओक का पेशेवर जीवन

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बताते चले कि जस्टिस ओक ने अपने पिता के चैंबर में ठाणे जिला अदालत में अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी. उन्हें 29 अगस्त, 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. 12 नवंबर, 2005 को स्थायी जज बनाए गए. 10 मई, 2019 को उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. उन्हें 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. 
 

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