देश भर के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ आयोजित लोक अदालत (Lok Adalat) में 33 लाख से ज्यादा मुकदमों पर सुनवाई हुई. नेशनल लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी (National Legal Services Authority) के सदस्य सचिव अशोक जैन के मुताबिक ऑथोरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस उदय उमेश ललित की अगुआई में आयोजित लोक अदालत में सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला और सत्र न्यायालय तक लोक अदालत लगी. इनमें प्री लिटिगेशन स्टेज के 18 लाख 50 हजार से ज्यादा मामलों पर सुनवाई हुई. इनमें से नौ लाख 41 हजार मामलों का तो निपटारा भी हाथों हाथ हो गया. इस सिलसिले में सेटलमेंट और दंड स्वरूप तीन अरब 76 करोड़ 78 लाख 66 हजार 143 रूपए की वसूली भी हुई.
वर्षों से लंबित मामलों में 14 लाख 62 हजार 322 मामलों पर सुनवाई हुई, जिनमें से 5 लाख 92 हजार 261 मामले निपटा दिए गए. सेटलमेंट अमाउंट के तौर पर 19 अरब 04 करोड़ 51 लाख 96 हजार 808 रुपए वसूले गए.
इस हिसाब से कुल 33 लाख 12 हजार 389 मामलों पर हुई सुनवाई में 15 लाख 33 हजार 186 मामलों का लगे हाथ निपटारा हो गया. यानी अदालतों में लंबित मुकदमों की सूची से ये मुकदमे सीधे सीधे गायब हो गए. इन मुकदमों के हाथों हाथ सेटलमेंट के जरिए मुकदमों का बोझ जहां कम हुआ, वहीं राजस्व कोष में रिकॉर्ड 22 अरब 81 करोड़ 30 लाख 62 हजार 951 रुपए जमा हुए.
अधिकतर मामले कम्पनी लॉ, पारिवारिक विवाद, चेक बाउंस, श्रमिक मामले, राजस्व विवाद, मामूली अपराध और विवादों से संबंधित मामले थे. आदिवासी और नक्सली इलाकों में भी लोक अदालतें लगाई गई.
साल 2021 में ये तीसरी लोक अदालत है. कोविड की स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और ओडिशा में लोक अदालत सितंबर के चौथे हफ्ते में आयोजित होगी.
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