मोहम्मद जुबैर 23 दिन बाद जेल से रिहा, 2018 के एक ट्वीट को लेकर हुई थी गिरफ्तारी

सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ सभी FIR को दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर कर दिया है. साथ ही इस फैक्‍ट चेकर के खिलाफ गठित यूपी की SIT को भंग कर दिया है.

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Mohammad Zubair : मोहम्मद जुबैर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था

नई दिल्‍ली:

ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (Fact checker Mohammed Zubair) की बुधवार रात को तिहाड़ जेल से रिहाई हो गई. जुबैर को 23 दिन बाद जेल से रिहाई मिली है. जुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने उनके 2018 के एक ट्वीट को लेकर गिरफ्तार किया था. उसके बाद यूपी में भी उन पर कई मामले दर्ज हुए थे. बेल बॉन्ड और जमानत की अन्य शर्तों से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जुबैर की रिहाई का आदेश शाम को तिहाड़ जेल पहुंचा था. जुबैर को जेल नंबर चार में रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से जुबैर को यूपी के सभी मामलों में अंतरिम जमानत देने के बाद उनकी रिहाई का रास्‍ता साफ हुआ. इसके बाद ज़ुबैर की जमानत बांड को ड्यूटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में जमा कराया गया. बाद में जुबैर की रिहाई के कागजात तैयार हुए. यह आदेश तिहाड़ जेल पहुंचने के बाद जुबैर की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हुई. 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज जुबैर को जमानत देते हुए कहा था कि 20 हजार का पर्सनल बेल बॉन्ड पटियाला हाउस कोर्ट के CMM के यहां दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ सभी FIR को दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर कर दिया है. साथ ही इस फैक्‍ट चेकर के खिलाफ गठित यूपी की SIT को भंग कर दिया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जुबैर को इस मामले में कोई नई FIR दर्ज होने पर भी संरक्षण रहेगा. कोर्ट ने कहा कि वो अगर चाहें तो दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर FIR रद्द करने की मांग कर सकते हैं. कोर्ट ने उन्हें 20,000 रुपये के मुचलके पर सभी छह एफआईआर में जमानत दे दी है.

SC ने कहा है कि जुबैर के खिलाफ सभी मामलों की जांच अब दिल्ली पुलिस करेगी और मामला दिल्ली हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में रहेगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ दर्ज 6 FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया है और इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट से अपील करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि "उनको लगातार जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है, उन्हें तत्काल जमानत दें." कोर्ट ने कहा कि किसी नई एफआईआर में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

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