वोट पाने के लिए मोदी सरकार ने लुटाया खजाना, बनाई ऐसी योजनाएं, बेतहाशा बढ़ गया 'राजकोषीय घाटा': यशवंत सिन्हा

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सिन्हा ने कहा, "मोदी सरकार मुफ्त अनाज सहित अन्य कल्याण योजनाओं पर भारी-भरकम राशि खर्च कर रही है. सरकार की राजकोष की स्थिति डंवाडोल है. राजकोषीय घाटा असामान्य रूप से काफी ऊंचे स्तर पर है. यह सरकार के उन आंकड़ों से भी अधिक है, जिन्हें ‘भरोसेमंद’ नहीं माना जाता है."

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यशवंत सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल थे.
नई दिल्ली:

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का मानना है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कल्याण योजनाओं पर भारी खर्च की वजह से राजकोषीय स्थिति पर काफी बुरा असर पड़ रहा है और राजकोषीय घाटा असामान्य रूप से काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. सिन्हा ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि किसी को भी सरकार की राजकोषीय स्थिति की चिंता नहीं है, सरकार को खुद भी नहीं. 

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सिन्हा ने कहा, "मोदी सरकार मुफ्त अनाज सहित अन्य कल्याण योजनाओं पर भारी-भरकम राशि खर्च कर रही है. सरकार की राजकोष की स्थिति डंवाडोल है. राजकोषीय घाटा असामान्य रूप से काफी ऊंचे स्तर पर है. यह सरकार के उन आंकड़ों से भी अधिक है, जिन्हें ‘भरोसेमंद' नहीं माना जाता है."

देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पहले इसके 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान था. सिन्हा ने आरोप लगाया, ‘‘आज सरकार की आर्थिक नीतियां इस आधार पर तय होती हैं कि क्या इनसे उसे चुनाव जीतने में मदद मिलेगी या नहीं.''

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उन्होंने कहा, ‘‘इससे एक तरफ गरीबों के लिए ‘कल्याण' चल रहा है, दूसरी ओर चुनिंदा कॉरपोरेट अत्याशित लाभ कमा रहे हैं. यह कुछ ऐसा हो रहा है जिसको लेकर देश में किसी को चिंता नहीं है.'' सिन्हा ने कहा कि यह मजबूत राजकोषीय नीतियों और मजबूत आर्थिक नीतियों के बीच स्पष्ट रूप से असंतुलन की स्थिति है. यही आज की सचाई है.

एक सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति और वृद्धि की चुनौतियों से जूझना होगा. चालू वित्त वर्ष में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. प्रधानमंत्री मोदी के आलोचकों में गिने- जाने वाले सिन्हा ने कहा कि आज अर्थव्यवस्था को सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र से निवेश की जरूरत है.

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पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा होता दिख नहीं रहा है. सरकारी निवेश नहीं बढ़ रहा है. निजी निवेश भी कमजोर है. उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से निवेश कमजोर है. ‘‘निवेश के अभाव में भारतीय अर्थव्यवस्था प्रगति नहीं कर पाएगी.''

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव पर सिन्हा ने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था काफी हद तक आयातित कच्चे तेल पर टिकी है. ऐसे में मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी.''

उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 6.07 प्रतिशत के आठ माह के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से अधिक है।.थोक मुद्रास्फीति भी 13.11 प्रतिशत पर पहुंच गई है. सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल थे. शीर्ष नेतृत्व के साथ मतभेदों की वजह से उन्होंने 2018 में भाजपा से नाता तोड़ लिया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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