देश में इस साल मॉनसून की बारिश ने उत्तर-पश्चिम भारत में, विशेषकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भयंकर कहर बरपाया है और इन दोनों राज्यों में आयी आपदा से आम जनजीवन और पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान पहुंचा है. लेकिन देश के ऐसे कई राज्य हैं जो इस मॉनसून सीजन में औसत से कम बारिश का संकट झेल रहे हैं. मौसम विभाग के मुताबिक इस साल 21 अगस्त तक देश में औसत से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है.
एनडीटीवी से बातचीत में मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.नरेश कुमार ने
बताया कि इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन के दौरान 1 जून, 2023 से 21 अगस्त, 2023 के बीच देश में औसत से 7% कम बारिश हुई है.
कई राज्यों में औसत से कम बारिश
मौसम विभाग की तरफ से जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक इस मॉनसून सीजन के दौरान 21 अगस्त, 2023 तक झारखंड में औसत से 37% कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. बिहार में औसत से 32% कम, गंगीय पश्चिम बंगाल में औसत से 29% कम, पूर्वी उत्तर प्रदेश में औसत से 35% कम, जबकि असम और मेघालय में 17% कम और छत्तीसगढ़ में औसत से 14% कम बारिश रिकॉर्ड की गई है.
जबकि इस दौरान कुछ इलाकों, जैसे सौराष्ट्र और कच्छ में औसत से 72% ज्यादा, पश्चिमी राजस्थान में औसत से 60 फ़ीसदी ज्यादा और हिमाचल प्रदेश में औसत से 35% ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है.
18 अगस्त तक 1022.51 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई
उधर कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 18 अगस्त, 2023 तक खरीफ फसलों की बुआई का कुल क्षेत्रफल 1022.51 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि पिछले साल इस समय तक खरीफ फसलों की बुआई का क्षेत्रफल 1021.48 लाख हेक्टेयर रिकॉर्ड किया गया था.
पिछले साल के मुकाबले 15 लाख हेक्टेयर ज्यादा इलाके में चावल की बुआई
कृषि मंत्रालय के मुताबिक देश में अहम खरीफ फसलों की बुआई का क्षेत्रफल 18 अगस्त, 2023 तक पिछले साल 18 अगस्त की तुलना में करीब 1-लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया. इस साल 18 अगस्त तक चावल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 15 लाख हेक्टेयर ज्यादा इलाके में रिकॉर्ड की गई है, जबकि पिछले वर्ष की तुलना में 18 अगस्त, 2023 तक दलहन की फसलों की बुआई का क्षेत्रफल 11.59 लाख हेक्टेयर कम दर्ज़ किया गया है.
आने वाले दिनों में कई राज्यों में भारी बारिश का पूर्वानुमान है. मौसम विभाग का मानना है कि इससे मॉनसून में दर्ज़ की गई कमी की भरपाई हो सकती है. अब ये उम्मीद करनी चाहिए कि बारिश में सुधार से दलहन जैसी अहम खरीफ फसल की बुआई में भी सुधार होगा.