मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड शर्मा ने आज घोषणा की कि वह समान नागरिक संहिता का समर्थन नहीं करेंगे. संगमा का बयान ऐसे समय में सामने आया है जब राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. मीडिया से बात करते हुए, संगमा ने कहा कि एक राजनीतिक दल के रूप में, हम बहुत स्पष्ट हैं कि यूसीसी कुछ ऐसा है जिसे एनपीपी द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून को मेघालय के लोगों की संस्कृति और जीवन के तरीके को प्रभावित नहीं करना चाहिए. ऐसे कुछ क्षेत्र हो सकते हैं जहां केंद्र सरकार चाहती है कि कुछ चीजें की जाएं, लेकिन वे ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं है .
गौरतलब है कि बीजेपी ने अपने 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करने का वादा किया था. बताते चलें कि पिछले महीने राज्यसभा में भी इसे लेकर हंगामा देखने को मिला था जब राजस्थान के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने समान नागरिक संहिता विधेयक 2020 को प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर पेश किया था. ज्ञात हो कि संहिता धर्म आधारित व्यक्तिगत कानूनों को खत्म करने का प्रयास करती है.
कोनराड संगमा ने कहा कि यूसीसी यह भी परिभाषित करेगा कि संपत्ति बच्चों को कैसे हस्तांतरित की जाएगी. इसलिए अगर यूसीसी कहता है कि उसे सबसे बड़े बेटे के पास जाना है जैसा कि देश के अन्य हिस्सों में किया जाता है, तो यह हमारे राज्य की संस्कृति के साथ के अनुसार नहीं है जहां हम इसे कई जनजातियों में सबसे छोटी बेटी को देते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर यूसीसी की पूरी अवधारणा मेघालय राज्य की सांस्कृतिक प्रथाओं को बदलने वाली है तो निश्चित रूप से यह कुछ ऐसा है जिसे हम एक राज्य के रूप में और एक पार्टी के तौर पर कभी स्वीकार नहीं करेंगे.
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