76 साल के शख्स की 3 शादियों का केस पहुंचा हाईकोर्ट, तीसरे विवाह के 25 साल बाद पहली दो पत्नियों ने की शिकायत

आनंद ने 1968 में चंद्रम्मा से शादी की थी, 1972 में सावित्राम्मा से शादी की और फिर 1993 में वरलक्ष्मी से शादी की और उच्च न्यायालय के सामने ये दावा किया कि उसकी पहली दोनों पत्नियों ने तीसरी शादी के लिए सहमति दी थी.

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प्रतिकात्मक तस्वीर
बेंगलुरु:

कर्नाटक में 76 साल के एक बुजुर्ग की तीन शादियों का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. उसकी पहली दो पत्नियों ने ही अपने पति को कोर्ट में घसीटा है. तीसरी शादी करने के 25 साल बाद पहली दोनों बीवियों ने शिकायत दर्ज कराई और जानकारी छिपाने का आरोप पति पर लगाया. हालांकि कोर्ट में बुजुर्ग ने तीन शादियों की बात मान ली है.

आनंद सी उर्फ अंकुर गौड़ा की पहली पत्नी चंद्रम्मा ने उसके, उसकी तीसरी पत्नी 49 वर्षीय वरलक्ष्मी और उसके चार दोस्तों और रिश्तेदारों के खिलाफ द्विविवाह और उकसाने का मामला दर्ज कराया था. आनंद ने 1968 में चंद्रम्मा से शादी की थी. उसने 1972 में सावित्राम्मा से शादी की. आनंद ने दावा किया है कि चंद्रम्मा ने दूसरी शादी के लिए सहमति दी थी.

आनंद ने 1993 में वरलक्ष्मी से शादी की और उच्च न्यायालय के सामने ये दावा किया कि उसकी पहली दो पत्नियों ने तीसरी शादी के लिए सहमति दी थी. चंद्रम्मा ने द्विविवाह की शिकायत 2018 में दर्ज कराई थी. उसने आरोप लगाया था कि आनंद ने वरलक्ष्मी से शादी करते हुए अपनी पिछली शादियों की जानकारी को छिपाया था.

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आनंद, उसकी तीसरी पत्नी और अन्य आरोपियों ने इसे इस आधार पर उच्च न्यायालय में चुनौती दी कि शादी के लगभग 25 साल बाद शिकायत दर्ज की गई है. दूसरा तर्क यह था कि तीसरी शादी के लिए उसकी अन्य दो पत्नियों ने सहमति दी थी.

आनंद ने दावा किया कि उसकी तीन पत्नियों से जुड़े एक संपत्ति विवाद के बाद द्विविवाह का मामला दर्ज किया गया. पहली पत्नी के बच्चों ने भी आनंद के खिलाफ बंटवारे का मुकदमा दायर किया है.

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आनंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने अपने 25 मई के फैसले में कहा कि आनंद और उनकी तीसरी पत्नी के खिलाफ मामला रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे पिछली शादियों के बारे में जानते थे. हालांकि, आनंद के दोस्तों के खिलाफ द्विविवाह के लिए उकसाने का मामला रद्द कर दिया गया.

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एचसी ने कहा, "पहली याचिकाकर्ता (आनंद) के परिवार के अन्य सदस्यों या दोस्तों को इन कार्यवाही में तब तक शामिल नहीं किया जा सकता, जब तक कि यह सामने न आ जाए कि वे दूसरी शादी या तीसरी शादी के लिए जिम्मेदार थे."

कोर्ट ने कहा, "द्विविवाह का काम आम तौर पर एक त्रिभुज होता है, जिसमें पति, पत्नी और दूसरी पत्नी शामिल होती है. यह एक अजीब मामला है जहां यह एक चतुर्भुज है. इसलिए, पहले याचिकाकर्ता, दूसरे याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता को आपस में इस मुद्दे को हल करना होगा." वहीं एचसी ने अन्य आरोपियों को दोषमुक्त करने की बात कही.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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