सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लिव इन रिलेशनशिप का मामला, कोर्ट से नियम और गाइडलाइन को लेकर आदेश देने की मांग

लिव इन रिलेशनशिप में रहना लड़कियों के लिए कितना सुरक्षित है और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर लिव इन में रहने वाले जोड़ों का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की गई है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लिव इन रिलेशनशिप का मामला
नई दिल्ली:

देश में एक बार फिर ये बहस छिड़ गई है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहना लड़कियों के लिए कितना सुरक्षित है और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर लिव इन में रहने वाले जोड़ों का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की गई है. कोर्ट से कड़े नियम और गाइडलाइन बनाने के आदेश देने की मांग की गई है.

नियमों पर अमल सुनिश्चित करने का मेकेनिज्म विकसित करने की भी प्रार्थना की गई है. लिव इन रिलेशनशिप में लगातार बढ़ते धोखे, झांसे और हिंसक अपराधों को रोकने के लिए ये याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि श्रद्धा कभी निक्की यादव और कभी कोई लेकिन अब कोई और नहीं होना चाहिए. लिव इन रिलेशनशिप के दौरान आए दिन होने वाली हत्या की घटनाओं पर रोक लगाने  पंजीकरण की अनिवार्यता के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.

वकील ममता रानी की इस जनहित याचिका में विवाह की तरह ही लिव इन रिलेशन में रह रहे जोड़ों का पंजीकरण अनिवार्य करने की गुहार लगाई गई है. याचिका में कहा गया है कि महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट अपने पिछले आदेशों को और ज्यादा विस्तार देते हुए पीड़ित या असंतुष्ट पक्षकार के तौर पर महिलाओं की स्थिति को स्पष्ट कर दे, ताकि वो राहत के लिए कानून में मौजूद विकल्प आजमा सकें.

सुप्रीम कोर्ट के धन्नू लाल बनाम गणेशराम और बदरी प्रसाद, इंद्रा शर्मा सहित कई मामलों में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि कोर्ट उसमें भी मान चुका है कि लिव इन में रहने वाले जोड़ों को भी शादीशुदा की ही तरह माना जाएगा. उनसे पैदा हुए बच्चों को भी पैतृक संपत्ति और अन्य विरासत के अधिकार शादीशुदा दंपत्ति की संतानों की तरह ही हासिल करने का अधिकार होगा.

याचिका में कहा गया है कि लिव इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन यानी निबंधन के प्रावधान के अभाव में संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित महिलाओं के  गरिमापूर्ण जीवन जीने और निजता के अधिकार की सुरक्षा की गारंटी का हनन होता है. याचिका में बताया गया है कि  लिव इन रिलेशनशिप में लगातार बढ़ते धोखे, झांसे और हिंसक अपराधों को रोकने के लिए केंद्र सरकार को इस संबंध में कानून और गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में हाल ही में हुए श्रद्धा, निक्की व अन्य हत्याकांड का भी हवाला दिया गया है. 

यह भी पढ़ें-
आखिर क्यों हुआ बवाल? पंजाब सरकार को चुनौती देने वाले अमृतपाल सिंह के गांव से Ground Report
MCD सदन में हंगामा करने के मामले में AAP और BJP के पार्षदों पर FIR  : 10 प्वाइंट्स

Advertisement
Featured Video Of The Day
Arrest Warrant Against Netanyahu: ICC के गिरफ्तारी वारंट विश्व के बड़े देखों का क्या रुख ?