मराठा आरक्षण आंदोलन में संभाजी भिड़े की एंट्री, जरांगे से अनशन खत्म करने की अपील

ओबीसी(OBC) आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समाज ने जालना में एक हफ्ते पहले हुए लाठीचार्ज से बाद प्रदर्शन तेज कर दिया था. मराठा समाज की लंबे समय से मांग रही है कि आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन की वजह से  समाज को आरक्षण की जरूरत है.

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मराठा आरक्षण आंदोलन में अनशन पर बैठे मनोज जरांगे को मनाने पहुंचे संभाजी भिड़े

महाराष्ट्र में चल रहे के मराठा आंदोलन में अब संभाजी भिड़े की एंट्री हो गई है. जालना में मराठा आरक्षण को लेकर आमरण अनशन पर बैठे मनोज जरांगे से मिलने आज श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान संगठन के अध्यक्ष संभाजी भिड़े पहुंचे. इस दौरान संभाजी भिड़े ने मनोज जरांगे से अनशन छोड़ने को कहा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे झूठ नहीं बोलेंगे और उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस आपको धोखा नहीं देंगे.वहीं अजित पवार कलेजे वाले आदमी हैं, इसलिए कृपया अपनी भूख हड़ताल बंद करें, लड़ाई जारी रहेगी. संभाजी भिडे ने जारांगे का हाथ पकड़कर अनशन छोड़ने का अनुरोध किया. 

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आमरण अनशन पर बैठे मनोज जरांगे को मनाने की कोशिश

बता दें कि महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर जारी आंदोलन के बीच सोमवार को सरकार की एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हुआ कि आंदोलन पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल अपना आंदोलन खत्म करें. बैठक के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि सरकार मराठा आंदोलन पर काम कर रही है. अब संभाजी भिड़े ने अनशन पर बैठे मनोज जरांगे से अनखन खत्म करने की अपील की है.  साथ ही उन्होने मनोज को विश्वास दिलाने की कोशिश की कि सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम फडणवीस झूठ नहीं बोलेंगे और ना ही धोखा देंगे.

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मराठा समाज कर रहा आरक्षण की मांग

दरअसल, ओबीसी(OBC) आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समाज ने जालना में एक हफ्ते पहले हुए लाठीचार्ज से बाद प्रदर्शन तेज कर दिया था. मराठा समाज की लंबे समय से मांग रही है कि आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन की वजह से  समाज को आरक्षण की जरूरत है. मराठा आरक्षण की माग सबसे पहले साल 2004 में विलासराव देशमुख सरकार के वक्त सामने आई थी, जिसके बाद मौजूदा कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने नारायण राणे की अध्यक्ष में कमिटी का गठन किया था. साल 2014 में नारायण राणे समिति की रिपोर्ट के आधार पर मराठा समाज को सरकार ने 16 % आरक्षण दिया गया था. राणे कमिटी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य के 5.5 लाख परिवारों और करीब 18 लाख मराठा समाज के लोगों का सर्वे किया गया, जिसके बाद आरक्षण दिया गया. लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आरक्षण पर रोक लगा दी.

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आंदोलन की आग में जल रहा महाराष्ट्र

महाराष्‍ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में प्रदान किए गए आरक्षण को मई 2021 में उच्चतम न्यायालय ने अन्य आधारों के अलावा कुल आरक्षण का 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था. मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जारी आंदोलन इस महीने की शुरुआत में अंतरवाली सराटी गांव में हिंसक हो गया था, जिसमें दर्जनों पुलिस कर्मी सहित कई लोग घायल हुए थे. पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे. प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर अधिकारियों को भूख हड़ताल पर बैठे एक व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से रोक दिया था. अधिकारियों ने बताया था कि पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 360 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

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