कभी नरम, तो कभी सख्त...कई ऐतिहासिक फैसले हैं देश के अगले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम

हाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कई ऐतिहासिक फैसला दिया है, जिसने महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया. अविवाहित या अकेली गर्भवती महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात करने से रोकने के कानून को रद्द कर सभी महिलाओं को ये अधिकार दिया, जबकि पहली बार मेरिटल रेप को परिभाषित करते हुए पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने से गर्भवती विवाहित महिलाओं को भी नया अधिकार दिया.

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चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश होंगे.
नई दिल्ली:

जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम केंद्र सरकार को भेज दिया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम अनगिनत ऐतिहासिक फैसले हैं. उनके फैसलों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि सब बताना संभव नहीं है.

हाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कई ऐतिहासिक फैसला दिया है, जिसने महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया. अविवाहित या अकेली गर्भवती महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात करने से रोकने के कानून को रद्द कर सभी महिलाओं को ये अधिकार दिया, जबकि पहली बार मेरिटल रेप को परिभाषित करते हुए पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने से गर्भवती विवाहित महिलाओं को भी नया अधिकार दिया. उन्होंने कहा कि ये समानता के अधिकार की भावना का उल्लंघन करता है.

वैवाहिक संस्थानों के भीतर अपमानजनक संबंधों के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए, उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने पहली बार वैवाहिक बलात्कार के अपराध को कानूनी मान्यता देते हुए फैसला सुनाया कि एक विवाहित महिला की जबरदस्ती गर्भावस्था को गर्भपात के प्रयोजनों के लिए "वैवाहिक बलात्कार" के रूप में माना जा सकता है. महिला अधिकारों को लेकर उन्होंने सेना व नेवी में परमानेंट कमीशन जैसे फैसले सुनाए.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने ट्वीन टावर, राम मंदिर सहित कई बड़े मामलों की सुनवाई की और फैसले भी सुनाए. सोशल पोस्ट करने पर पत्रकार मोहम्मद जुबैर को तुरंत जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं.

अयोध्या का ऐतिहासिक फैसला, निजता के अधिकार, व्यभिचार को अपराध से मुक्त करने और समलैंगिता को अपराध यानी IPC की धारा 377 से बाहर करने, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, और लिविंग विल जैसे बड़े फैसले दिए हैं. वह उन जजों में से एक हैं, जिन्होंने कभी-कभी अपने साथी जजों के साथ सहमति भी नहीं जताई. आधार के प्रसिद्ध फैसले में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने बहुमत से असहमति जताते हुए कहा था कि आधार को असंवैधानिक रूप से धन विधेयक के रूप में पारित किया गया था और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने भीमा कोरेगांव में कथित रूप से हिंसा भड़काने के आरोपी पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से संबंधित एक मामले में भी असहमति जताई थी, जब पीठ के अन्य दो जजों ने पुणे पुलिस को कानून के अनुसार अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी. उन्होंने जन्मदिन पर लगातार कई घंटे तक सुनवाई करते रहे. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को मेहनती जज कहा जाता है.

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