मनोज जरांगे बोले- 'हम आपकी ताकत से जीते हैं..', सरकार के प्रस्ताव के बाद मुंबई खाली करने की घोषणा

मंत्रियों के साथ बैठक के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि हम आपकी ताकत से जीते हैं. आज मुझे गरीबों की ताकत का एहसास हुआ.

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  • सरकार ने हैदराबाद गजट लागू करने पर सहमति दी है, जिसमें मराठा समुदाय को कुनबी किसान जाति से जोड़ा गया है.
  • आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल की मांग पर प्रदर्शनकारियों पर दर्ज सभी मामले वापस लेने का निर्णय लिया गया है.
  • कैबिनेट उप-समिति की बैठक में सरकार और आंदोलन नेतृत्व के बीच पहली औपचारिक बातचीत हुई, जिसमें सहमति बनी है.
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मुंबई:

मराठा आरक्षण आंदोलन को एक महत्वपूर्ण मोड़ मिला है. महाराष्ट्र सरकार ने आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे पाटिल की प्रमुख मांग को स्वीकार करते हुए हैदराबाद गजट को लागू करने पर सहमति जताई है. इस गजट में मराठा समुदाय को कुनबी किसान जाति से संबंधित बताया गया है, जो ओबीसी आरक्षण के अंतर्गत आता है. इसके साथ ही सरकार ने आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर दर्ज सभी मामलों को वापस लेने का भी निर्णय लिया है.

'आज मुझे गरीबों की ताकत का एहसास हुआ...'

मंत्रियों के साथ बैठक के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि हम आपकी ताकत से जीते हैं. आज मुझे गरीबों की ताकत का एहसास हुआ.

समर्थक रात 9 बजे तक मुंबई खाली कर देंगे

मुंबई के आजाद मैदान में कैबिनेट उप-समिति की बैठक में मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, माणिकराव कोकाटे और शिवेंद्र राजे भोसले ने श्री पाटिल से मुलाकात की. यह सरकार और आंदोलन नेतृत्व के बीच पहली औपचारिक बातचीत थी. बैठक के बाद पाटिल ने घोषणा की कि सरकार के प्रस्ताव जारी होते ही उनके समर्थक रात 9 बजे तक मुंबई खाली कर देंगे.

पाटिल 29 अगस्त से भूख हड़ताल पर हैं और मराठवाड़ा व पश्चिमी महाराष्ट्र के मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हैदराबाद गजट ऐतिहासिक प्रमाण है, जिससे मराठा समुदाय की पहचान को पुनर्स्थापित किया जा सकता है.

हालांकि, आंदोलन के कारण मुंबई में जनजीवन प्रभावित हुआ, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया. अदालत ने चेतावनी दी कि अगर दोपहर 3 बजे तक आज़ाद मैदान खाली नहीं हुआ, तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. अदालत ने आंदोलनकारियों को "उल्लंघनकर्ता" बताते हुए कहा कि उन्हें तुरंत हटना चाहिए.

श्री पाटिल के वकील सतीश मानशिंदे ने अदालत में असुविधा के लिए माफ़ी मांगी, लेकिन अदालत ने राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि स्थिति को इस स्तर तक नहीं पहुंचना चाहिए था।

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