कांगेस के आंतरिक चुनाव और अग्निपथ के बारे में बोले मनीष तिवारी

अग्निपथ योजना को लेकर उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में एक सांसद के रूप में मैं एक ऐसे दृष्टिकोण का हकदार हूं जो मुझे लगता है कि रचनात्मक है. यह अलग बात है कि पार्टी का एक अलग दृष्टिकोण है." 

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मनीष तिवारी ने यह नहीं बताया कि कांग्रेस को ‘संस्थागत सुधार‘ के लिए क्या करना चाहिए. 
नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी (Manish Tiwari) ने आज जोर देकर कहा कि अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) को लेकर पार्टी के साथ मतभेद उनके इस दृढ़ विश्वास के कारण है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा सुधारों को राजनीतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने NDTV से कहा, "जब मैं इन मुद्दों को देखता हूं, तो मैं इसे गैर-पक्षपातपूर्ण नजरिए से देखता हूं." उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कुछ मतभेदों से बड़े मुद्दे हैं. तिवारी 23 कांग्रेस नेताओं (जी-23) समूह का हिस्सा हैं, जिन्होंने पार्टी में ‘प्रणालीगत सुधार‘ की मांग की है. 

उन्होंने जोर देकर कहा कि अग्निपथ योजना पर उनके विचार व्यक्तिगत हैं. एक छोटी और युवा सेना की तलाश दशकों से है. उन्होंने कई रिपोर्टों का हवाला दिया जिसमें कांग्रेस सरकारों के दौरान भी इस तरह के कदम की सिफारिश की गई थी.

उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में एक सांसद के रूप में मैं एक ऐसे दृष्टिकोण का हकदार हूं जो मुझे लगता है कि रचनात्मक है. यह अलग बात है कि पार्टी का एक अलग दृष्टिकोण है." 

हालांकि कांग्रेस के साथ अपने भविष्य को लेकर हां या ना में जवाब देने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, "42 साल बाद अगर मुझसे ऐसा सवाल पूछा जाता है तो यह मेरी गरिमा का अपमान है." किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि उनकी चिंता 'व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से परे' है. 

पंजाब चुनाव से पहले उन्होंने फरवरी में बयान दिया था, "मैं कांग्रेस नहीं छोड़ूंगा, लेकिन अगर कोई मुझे बाहर करना चाहता है तो यह अलग बात है." उन्होंने कहा कि वह अपने बयान के साथ खड़े हैं. वह बयान एक निश्चित संदर्भ में दिया गया था. मैं हर शब्द पर खड़ा हूं. 

उन्होंने यह नहीं बताया कि कांग्रेस को ‘संस्थागत सुधार‘ के लिए क्या करना चाहिए. 

यह पूछे जाने पर कि क्या एक गैर गांधी नेता के रूप में पार्टी को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी? उन्होंने कहा, "यह व्यक्ति के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि कैसे सुनिश्चित किया जाए कि भारत के मौलिक मूल्य फिर से गूंजें."

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मनीष तिवारी से जब पूछा किया गया कि राहुल गांधी के एक और यूरोप दौरे के लिए रवाना होने और उनकी लगातार विदेश यात्राएं यह धारणा बनाती हैं कि वे प्रतिबद्ध नहीं हैं? जवाब में उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि वह यहां हैं या विदेश में. अगर वह विदेश गए हैं  तो मुझे यकीन है कि उनेके पास इसके लिए पूरी तरह से वैध कारण हैं."

जी-23 की बड़ी चिंताओं पर उन्होंने रेखांकित किया कि कांग्रेस ने संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सितंबर तक पार्टी का लक्ष्य एक निर्वाचित अध्यक्ष का है. सोनिया गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से उस पद पर हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी इस पद के लिए चुनाव लड़ेंगे या नहीं. तिवारी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इन चुनावों में (जी-23 की) चिंताओं का प्रतिबिंब मिलेगा, जो लोग विशिष्ट चिंताओं को उठाना चाहते हैं उन्हें प्रक्रिया का लाभ उठाना चाहिए-

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2014 में भाजपा के सत्ता में आने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी चिंता भारत का विचार है, कांग्रेस और भारत मूल्यों के जिस समूह के लिए खड़े हैं, उस पर लगातार आठ साल से हमला हो रहा है."


 

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