मणिपुर (Manipur) के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (Chief Minister N Biren Singh) शनिवार को विपक्षी कांग्रेस (Congress) पर तीखे हमले के साथ चुनाव प्रचार (Election Campaign) में लौटे. राज्य में तीन हफ्ते में होने वाले मतदान को देखते हुए उनका एक सप्ताह का ब्रेक बेहद असामान्य है. उन्होंने नामांकन दाखिल करने के बाद खुराई निर्वाचन क्षेत्र से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रचार के सभी वादे प्रोपेगेंडा हैं भाजपा निश्चित रूप से वापसी करेगी.
सत्ता में वापसी के उद्देश्य से मणिपुर कांग्रेस ने शुक्रवार को विधानसभा चुनावों के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया, जिसमें हर साल 50,000 नई नौकरियां और सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का वादा किया गया. पार्टी ने विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी AFSPA को तत्काल निरस्त करने और सेना में एक अलग मणिपुर रेजिमेंट का वादा किया है.
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, "घोषणापत्र व्यावहारिक होना चाहिए, लेकिन उनका घोषणापत्र प्रोपेगेंडा है. हमारा घोषणापत्र व्यावहारिक होगा. इसे आसानी से लागू किया जा सकता है अन्यथा वे सिर्फ झांसा दे रहे हैं."
मणिपुर चुनाव : कांग्रेस का घोषणापत्र जारी, विवादास्पद कानून AFSPA को निरस्त करने का किया वादा
हालांकि बीते सप्ताह में अधिकांश 61 वर्षीय बीरेन सिंह जनता की नज़रों से दूर ही रहे. उनकी लड़ाई सिर्फ कांग्रेस के साथ नहीं रही है. पिछले हफ्ते भाजपा ने मणिपुर के लिए सभी 60 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी, जिसके बाद टिकट पाने की उम्मीद करने वालों के समर्थकों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध ने पार्टी के लिए संकट पैदा कर दिया. तीन मौजूदा विधायकों समेत कई नेताओं ने पाला बदल लिया है.
एक सप्ताह से बीरेन सिंह असंतुष्टों को मनाने करने के लिए काम कर रहे हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि भाजपा को 16 सीटों पर गंभीर असंतोष का सामना करना पड़ रहा था.
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इस बीच, कांग्रेस सरकार पर अपने हमलों में निर्मम रही है. मणिपुर के कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा, "12 विधायकों को लाभ के पद के आरोप में अयोग्य ठहराए जाने के बावजूद उन्होंने सत्ता का दुरुपयोग किया और पांच साल तक सरकार में बने रहे."
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