"मेरे कद को कम नहीं कर सकते": मेनका गांधी ने राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने पर दी प्रतिक्रिया

मेनका गांधी को केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के प्रति सहानुभूति के लिए जाना जाता है. साथ ही उनके बेटे और पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी को भी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की घटना की आलोचना करने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया गया था. 

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मेनका गांधी को केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के प्रति सहानुभूति के लिए जाना जाता है. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

मेनका गांधी (Maneka Gandhi) को भाजपा की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी (BJP National Executive) में पिछले हफ्ते किए गए बदलाव के बाद शामिल नहीं किया गया था. इसके बाद 65 साल की मेनका गांधी ने राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने पर प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि वह पिछले 20 सालों से पार्टी में संतुष्‍ट हैं और पैनल में शामिल नहीं होने से कद कम नहीं होता है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्‍होंने कहा, "मैं 20 साल तक भाजपा में रहने से संतुष्ट हूं. कार्यकारिणी में न होने से किसी का कद कम नहीं होता, मेरा पहला धर्म सेवा करना है. इससे ज्यादा जरूरी है कि मुझे लोगों के दिलों में जगह मिले. " 

अपने संसदीय क्षेत्र सुल्‍तानपुर के दो दिवसीय दौरे के दौरान एएनआई से उन्‍होंने कहा, "यहां अन्य वरिष्ठ नेता भी हैं जिन्हें जगह नहीं मिली है. नए लोगों को भी मौका मिलना चाहिए. मुझे अपने कर्तव्यों के बारे में पता है और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की सेवा करना मेरा पहला कर्तव्य है." 

मेनका गांधी को केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के प्रति सहानुभूति के लिए जाना जाता है. साथ ही उनके बेटे और पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी को भी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की घटना की आलोचना करने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया गया था. 

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मेनका गांधी ने लखीमपुर की घटना को "हत्या" बताते हुए जवाबदेही की मांग की थी. उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखकर सीबीआई जांच और मृत किसानों के परिवारों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की थी. 

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