अधिकारी नहीं खोल पाए बेल ऑर्डर की ईमेल, 3 साल ज्यादा जेल में रहा शख्स; अब मिलेगा मुआवजा

जेल अधिकारियों ने हाईकोर्ट को बताया कि वे 2020 में रजिस्ट्री द्वारा उन्हें ईमेल (Bail Email) किए गए जमानत आदेश में अटैच फाइल को खोलने में असमर्थ थे. इसलिए उस व्यक्ति को रिहा नहीं किया जा सका.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
अहमदाबाद:

गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने जमानत के बावजूद लगभग 3 साल तक अवैध तरीके से जेल में रखे गए युवक को 1 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है. लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक, आवेदक 27 वर्ष का है. एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. वह करीब 5 साल तक की सजा काट चुका था. इस बीच अदालत ने आवेदक की याचिका पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 389 के प्रावधान के तहत उसकी सजा को निलंबित कर दिया. अदालत ने 29 सितंबर 2020 को उसे रेगुलर बेल दे दी. हालांकि, कैदी चंदनजी ताकोर को नियमित जमानत हासिल करने के बावजूद तीन साल तक जेल में रहना पड़ा, क्योंकि जेल अधिकारी जरूरी कार्रवाई करने में नाकाम रहे.

जेल अधिकारियों ने हाईकोर्ट को बताया कि वे 2020 में रजिस्ट्री द्वारा उन्हें ईमेल (Bail Email) किए गए जमानत आदेश में अटैच फाइल को खोलने में असमर्थ थे. इसलिए उस व्यक्ति को रिहा नहीं किया जा सका.

अदालत ने अपने आदेश कहा, "यह कोई ऐसा मामला नहीं है कि ईमेल जेल अधिकारियों को नहीं मिला था. यह जेल अधिकारियों का मामला है कि कोविड ​​​-19 महामारी के मद्देनजर आवश्यक कार्रवाई नहीं की जा सकी. हालांकि, उन्हें ईमेल मिला, लेकिन वे अटैच फाइल खोलने में असमर्थ थे.”

Advertisement
जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे ने कहा, “आवेदक की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, जो जेल अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस न्यायालय के आदेश के बावजूद जेल में है...हम लगभग तीन वर्षों तक जेल में उसकी अवैध कैद के लिए मुआवजा देने के इच्छुक हैं." कोर्ट ने वर्तमान मामले को 'आंखें खोलने वाला' माना.

अदालत ने राज्य से जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) से देरी से रिहाई के ऐसे ही मामलों की पहचान करने का आग्रह किया जाए. कोर्ट ने कहा, "हम राज्य को उसे एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दे रहे हैं. इसका भुगतान 14 दिनों की अवधि के भीतर किया जाएगा. रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश को जिला सत्र न्यायालय, मेहसाणा को भी सूचित करे.''

Advertisement

कोर्ट ने निर्देश दिया, “इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए हम सभी डीएलएसए को विचाराधीन कैदियों/दोषियों का डेटा एकत्र करने का निर्देश देना उचित समझते हैं, जिनके पक्ष में जमानत पर रिहा करने के आदेश पारित किए गए हैं लेकिन वे रिहा नहीं किए गए हैं."

Advertisement

आवेदक को मुआवजे के संभावित भुगतान सहित इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अदालत ने मामले को 18 अक्टूबर 2023 को फिर से सुनवाई के लिए निर्धारित किया है.
 

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

भीमा कोरेगांव केस : महेश राउत की जमानत के खिलाफ NIA की अर्जी पर SC सुनवाई को तैयार

"सीलबंद वजूखाने और कथित शिवलिंग का भी करवाया जाए सर्वे", ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने SC में दायर की एक और याचिका

SC ने दिल्ली में ट्रांसफर -पोस्टिंग को लेकर बनाए गए कानून के खिलाफ दायर याचिका पर दोनों पक्षों से मांगी रिपोर्ट

Featured Video Of The Day
Arvind Kejriwal को मुश्किल में डालेंगे Delhi के दो-दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे?
Topics mentioned in this article