भारत के 900 मिलियन कर्मचारियों में से ज्यादातर ने काम की तलाश छोड़ी: रिपोर्ट

मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2030 तक कम से कम 90 मिलियन नए गैर-कृषि रोजगार सृजित करने की जरूरत है. इसके लिए 8 फीसदी से 8.5 फीसदी की वार्षिक जीडीपी वृद्धि की आवश्यकता होगी.

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लोगों ने काम की तलाश की बंद
नई दिल्ली:

भारत की रोजगार सृजन समस्या एक खतरनाक रूप लेती दिख रही है. मुंबई में एक निजी शोध फर्म सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट के नए आंकड़ों के अनुसार, सही नौकरी नहीं मिलने से निराश, लाखों भारतीय, खासतौर पर महिलाएं, श्रमिकों की लिस्ट से पूरी तरह बाहर होती दिख रही है. दरअसल भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक को विकास को गति देने के लिए युवा श्रमिकों पर दांव लगा रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 और 2022 के बीच, समग्र श्रम भागीदारी दर 46 प्रतिशत से घटकर 40 प्रतिशत हो गई. ये महिलाओं के बीच, डेटा और भी अधिक स्पष्ट है. लगभग 21 मिलियन श्रमिकों ने काम छोड़ा. केवल 9 प्रतिशत योग्य आबादी को रोजगार मिला.

सीएमआईई के अनुसार, अब कानूनी कामकाजी उम्र के 900 मिलियन भारतीयों में से आधे से अधिक लोग नौकरी नहीं चाहते हैं. बेंगलुरू में सोसाइटी जेनरल जीएससी प्राइवेट के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू ने कहा, "निराश श्रमिकों का बड़ा हिस्सा बताता है कि भारत में युवा आबादी के लाभांश को प्राप्त करने की संभावना नहीं है." "इससे असमानता को और बढ़ावा मिलेगा." मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2030 तक कम से कम 90 मिलियन नए गैर-कृषि रोजगार सृजित करने की जरूरत है. इसके लिए 8 फीसदी से 8.5 फीसदी की वार्षिक जीडीपी वृद्धि की आवश्यकता होगी.

25 साल की शिवानी ठाकुर ने कहा, "मैं एक-एक पैसे के लिए दूसरों पर निर्भर हूं." युवा लोगों को काम पर लगाने में विफल रहने से भारत विकसित देश की स्थिति की ओर बढ़ सकता है. बेरोजगार भारतीय अक्सर छात्र या गृहिणी होती हैं. उनमें से कई किराये की आय, घर के बुजुर्ग सदस्यों की पेंशन या सरकारी मदद पर जीवित रहते हैं.  तेजी से तकनीकी परिवर्तन की दुनिया में, लोग पिछड़ रहे हैं. महिलाओं के लिए, कारण कभी-कभी घर पर सुरक्षा या समय लेने वाली जिम्मेदारियों से संबंधित होते हैं. जबकि वे भारत की 49 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं, महिलाएं अपने आर्थिक उत्पादन में केवल 18 प्रतिशत का योगदान करती हैं, जो वैश्विक औसत का लगभग आधा ही हिस्सा है.

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सीएमआईई के महेश व्यास ने कहा, "महिलाएं अधिक संख्या में श्रमिकों में शामिल नहीं होती हैं क्योंकि नौकरियां अक्सर उनके प्रति उदार नहीं होती हैं." "सरकार ने इस समस्या का समाधान करने की कोशिश की है, जिसमें महिलाओं के लिए न्यूनतम विवाह आयु को 21 वर्ष तक बढ़ाने की योजना की घोषणा भी शामिल है. कॉलेज से स्नातक होने के बाद, ठाकुर ने मेहंदी कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया, आगरा शहर के एक पाँच सितारा होटल में मेहमानों के हाथों मेंहदी लगाकर लगभग 20,000 रुपये (260 डॉलर) का मासिक वेतन अर्जित किया. लेकिन देर से काम करने के कारण, उसके माता-पिता ने उसे इस साल नौकरी छोड़ने के लिए कहा. वे अब उससे शादी करने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में अब उसे अपना भविष्य खतरे में नजर आ रहा है.

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