शिवसेना (Shivsena) कार्यकर्ता पर जानलेवा हमले के मामले में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (Narayan Rane) के बेटे और बीजेपी विधायक नितेश राणे को सुप्रीम कोर्ट ने दस दिन तक गिरफ्तार न करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर कर नियमित जमानत अर्जी दाखिल करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस तरहा नितेश की अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा किया. नितेश राणे की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये बोगस केस है. ये राजनीतिक मामला है. वो कोई अपराधी नहीं हैं. उन्होने कहा कि हाई कोर्ट में एसी स्थति में उन्हे जमानत मिलनी चाहिये थी. उन्होंने कोई साजिश नहीं रची, ना कुछ किया है. याचिका में राणे ने कहा कि 'मैं दो बार का विधायक हूं इसलिए मुझे फंसाया जा रहा है. ये बताता है कि सत्तारूढ़ पार्टी किस हद तक जा सकती है. चीफ जस्टिस एन वी रमना ने महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि 'ये क्या राजनीति है. राजनीतिक बुखार या वायरस?'
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सिंघवी ने अग्रिम जमानत का विरोध किया और कहा कि उनको सरेंडर करने को कहा जाए. इसके बाद वो नियमित जमानत ले सकते हैं. बता दें कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे और महाराष्ट्र में बीजेपी विधायक नितेश राणे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की है, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के अग्रिम जमानत याचिका रद्द करने को चुनौती दी गई है.
राणे की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा है कि उन्हें राजनीतिक बदले की भावना से फंसाया गया है. इससे पहले 17 जनवरी को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे और महाराष्ट्र में बीजेपी विधायक नितेश राणे को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा था. हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. हालांकि हाईकोर्ट ने नितेश राणे की गिरफ्तारी पर 27 जनवरी तक रोक लगा दी थी ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें.
नितेश राणे पर शिवसेना कार्यकर्ता संतोष परब पर जानलेवा हमले में शामिल होने का आरोप है. इस मामले में केस सिंधुदुर्ग में दर्ज हुआ है. वहीं हाईकोर्ट ने इस मामले में दूसरे आरोपी मनीष दलवी को अग्रिम जमानत दी थी.
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