पालघर में मॉब लिंचिंग के दौरान दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या की रिपोर्टिंग पर आपत्ति जताते हुए अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर के सिलसिले में बॉम्बे हाईकोर्ट से उन्हें अंतरिम राहत मिली थी. अब सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट से वापस लेना चाहती है. कोर्ट ने इजाजत देते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 2020 के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली है, जिसमें कथित रूप से पालघर में साधुओं की लिंचिंग करने को लेकर भड़काऊ टिप्पणी करने व बांद्रा स्टेशन के बाहर प्रवासियों को इकट्ठा करने के लिए रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दायर दो FIR की जांच पर रोक लगा दी गई थी.
सरकार की ओर से वकील ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अंतरिम आदेश है. इसलिए मुझे इसे वापस लेने का निर्देश है.CJI ने याचिका वापस लेने के कारण खारिज कर दी.गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने गोस्वामी के खिलाफ जांच पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध किया था. इस पर शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की अपील पर गोस्वामी और अन्य लोगों से जवाब मांगा था. 30 जून, 2020 के आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था कि गोस्वामी ने कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते समय कोई ऐसा बयान नहीं दिया था जो कि विभिन्न धार्मिक समूहों के लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करता हो या हिंसा भड़काता हो.
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