कोयले की कमी के लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेदार: पूर्व केंद्रीय मंत्री अहीर

अहीर ने कहा कि अनियोजित प्रबंधन कोयले की कमी का कारण बना क्योंकि महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी (महाजेनको), वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) के कई कोयला खदानों के साथ कोयले की खरीद के लिए समझौता नहीं कर पायी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
चंद्रपुर:

पूर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी के लिए राज्य की ऊर्जा मंत्रालय की ‘लापरवाही' जिम्मेदार है. अहीर ने कहा कि अनियोजित प्रबंधन कोयले की कमी का कारण बना क्योंकि महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी (महाजेनको), वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) के कई कोयला खदानों के साथ कोयले की खरीद के लिए समझौता नहीं कर पायी.

उन्होंने एक बयान में शनिवार को कहा, ‘महाराष्ट्र ऊर्जा मंत्रालय ने समय पर डब्ल्यूसीएल के साथ कोयला खरीद के संबंध में समझौता नहीं किया जिसकी वजह से राज्य में कोयले की कमी हुई. अगर राज्य सरकार ने चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर इलाके में डब्ल्यूसीएल के धोपताला खदान से कोयले की खरीद में रुचि दिखाई होती तो चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर क्षेत्र में धोपताला परियोजना कई महीने ठप्प नहीं होती.'

चंद्रपुर जिले से भाजपा के पूर्व सांसद अहीर ने दावा किया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आखिरकार धोपताला कोयला खदानों के साथ दोगुनी कीमत पर कोयला खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया. उन्होंने कहा कि अपने ही राज्य से कोयला न खरीदना महाराष्ट्र सरकार की बड़ी विफलता है और अपनी विफलता छुपाने के लिए केंद्र सरकार पर उंगली उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

महाराष्ट्र के बिजली मंत्री नितिन राउत ने हाल ही में कहा था कि राज्य 3,500 से 4,000 मेगावाट बिजली आपूर्ति की कमी का सामना कर रहा है. उन्होंने इसके लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की तरफ से ‘कुप्रबंधन और योजना की कमी' को जिम्मेदार ठहराया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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