महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट की अर्जियों पर कोर्ट में सुनवाई हुई. दो जजों की बेंच ने सुनवाई की. शिंदे गुट की ओर से नीरज किशन कौल ने बहस किया. वहीं इस मामले पर जस्टिस सूर्यकांत ने शिंदे गुट से पूछा, आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. कौल ने कहा कि हमारे पास 39 विधायक है. सरकार अल्पमत में है. हमे धमकी दी जा रही है . हमारी संपत्ति जलाई जा रही है . बॉम्बे कोर्ट में सुनवाई के लिए माहौल नहीं है.
कौल ने कहा कि हमें नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप कह रहे हैं कि आपको अपनी जान की चिंता है. दूसरा आप कह रहे हैं कि स्पीकर ने आपको पर्याप्त समय नहीं दिया है. कौल ने कहा कि इस मामले में डिप्टी स्पीकर बेवजह जल्दबाजी में हैं. उन्होंने आज शाम पांच बजे तक का समय दिया है. ये प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. शिंदे गुट ने कहा कि नियम के मुताबिक 14 दिनों के नोटिस का समय होता है.
महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर से सियासत गरमाई हुई है. गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे के साथ होटल में ठहरे हुए विधायकों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
Here Are The Live Updates On Maharashtra Political Crisis :
बीजेपी की कोर कमिटी की बैठक के बाद सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि वे शिवसेना के किसी भी विधायक को बागी नहीं मानते. साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें एकनाथ शिंदे गुट की ओर से कोई भी प्रस्ताव नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि जो मौजूदा राजनीतिक स्थिति है उसे देखते हुए बीजेपी वैट एंड वॉच की भूमिका में है. अभी सरकार बनाने के प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हुई है. लेकिन पार्टी पूरी नजर रखे हुए है और जरूरत पड़ने पर फिर से कोर कमिटी की बैठक में रणनीति तय की जायेगी.
शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मिले 14 दिन के समय को अपनी बताया है. उन्होंने कहा कि ये फैसला हमारे लिए बाला साहेब के हिन्दुत्व की जीत की तरह है.
कोर्ट ने बागी शिवसेना विधायकों को राहत देते हुए अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने के लिए 14 दिन का समय दिया है. अब इन बागियों को 11 जुलाई को जवाब दाखिल करना होगा.
शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने वर्ली में कहा कि प्राण जाए,पर वचन न जाए, जो लोग दगाबाजी करते हैं,जो भागकर जाते हैं,वह कभी जीतते नही है. उन्होंने कहा कि हमे पूरा भरोसा है कि हम जीतेंगे. ये लोग बागी नहीं बल्कि भगौड़े हैं. जो भागे हैं उन्हें वापस तो आना ही होगा.
शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया. SC ने डिप्टी स्पीकर, अजय चौधरी, प्रभु, विधानसभा सचिव और केंद्र को नोटिस जारी किया है. साथ ही इसका जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले फैसले में बात अलग थी. यहां हालात बिल्कुल अलग हैं. यहां तो खुद डिप्टी स्पीकर की जारी रखना ही चुनौती के अधीन है. क्या डिप्टी स्पीकर खुद ही उस नोटिस पर फैसला कर सकते हैं जिसमें उनको हटाने की मांग की गई है.
शिंदे गुट ने नियमों का जिक्र करते हुए कहा कि स्पीकर के पास विधायकों की अयोग्यता का फैसला करते समय सभी सदस्यों का समर्थन होना चाहिए, तभी वो फैसला कर सकते हैं. लेकिन यहां खुद स्पीकर ही अविश्वास के दायरे में हैं. शिंदे के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के अरुणाचल प्रदेश मामले में दिए गए फैसले का भी जिक्र किया और कहा जब तक स्पीकर को हटाने पर फैसला नहीं होता, अयोग्यता की कार्यवाही नहीं हो सकती.
वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि सदन के पटल पर कार्य या वोट से संबंधित पार्टी की बैठक को दसवीं अनुसूची की आड़ में विधिवत निर्वाचित सदस्यों को अयोग्य घोषित करने के हथियार में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है. कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी ऐसे मामलों से निपट चुका है. कोर्ट ने कहा कि हम समझते हैं कि आप खतरे को महसूस कर रहे हैं . हमारे पास सत्यापित करने का कोई साधन नहीं है लेकिन आप दावा कर रहे हैं.अन्य मुद्दा यह है कि आप उचित समय की कमी कहते हैं. समय खत्म हो रहा है .कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का इस तरह से काम करना जायज़ नहीं है.
एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में महा विकास अघाड़ी गठबंधन से समर्थन वापस लेने का दावा किया है . याचिका में कहा है कि यह सामान्य ज्ञान है कि राज्य में वर्तमान सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है. शिवसेना विधायक दल के 38 सदस्यों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. यह सदन में बहुमत से नीचे है. डिप्टी स्पीकर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
महाराष्ट्र के शिवेसना के बागी विधायकों को केंद्र की ओर से 'वाई प्लस' सुरक्षा दिए जाने के बाद सोमवार को पार्टी ने दावा किया कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही यह सब ''तमाशा'' कर रही है. शिवेसना के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले पार्टी के बागी विधायकों पर आरोप लगाया गया है कि वे 50-50 करोड़ रुपये में ''बिक'' गए हैं. (भाषा )
शिवसेना के असंतुष्ट नेता एकनाथ शिंदे ने रविवार को पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए आश्चर्य जताया कि बाल ठाकरे की पार्टी उस दाऊद इब्राहिम के साथ सीधे संबंध रखने वाले लोगों का समर्थन कैसे कर सकती है, जो कई बम विस्फोट करके निर्दोष मुंबई के लोगों को मारने के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि इस तरह के समर्थन के विरोध में उनके और अन्य विधायकों द्वारा विद्रोह का झंडा उठाया गया है और उन्हें बाल ठाकरे की शिवसेना को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं है. (भाषा)
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के पूर्व विधायक सुभाष साबने का एक वीडियो ट्वीट किया है. वीडियो में साबने कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि मैं उस बोका ( बिल्ली) के साथ बैठूं क्या? लेकिन जिसने शिवसेना प्रमुख को जेल दिखाया, उसके बगल में मंत्रिमंडल में आप बैठते हैं! वो चलता है। लेकिन उसकी वजह से हम 12 विधायक एक साल निलंबित थे. सिर्फ और सिर्फ शिवसेना प्रमुख से प्रेम की खातिर. आज भी शिवसेना प्रमुख के प्रति आदर है. शिवसैनिकों से मेरा निवेदन है कि वो एकनाथ शिंदे के साथ आएं तभी शिवसेना टिकेगी.
शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे और साथ गए 38 विधायकों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका में बागियों पर अपने आधिकारिक कर्तव्यों की "उपेक्षा" करने और उन्हें कार्यालय फिर से शुरू करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका 7 नागरिकों ने दी है.
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच बीजेपी नेता और कंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे ने राज्य में सत्ता पलट के संकेत दिए हैं. जालना के एक सभा में जालना सांसद दानवे ने कहा, " मैं केंद्र में मंत्री हूं, भैया साहब (राजेश टोपे) राज्य में मंत्री हैं. मुझे केंद्र में मंत्री बने ढाई साल हो चुके हैं, लेकिन 14 साल से तुम (राजेश टोपे) मंत्री हो, इसलिए जल्दी काम पूरे कर लो वरना वक़्त निकाल जाएगा. यदि आप भविष्य में अवसर चाहते हैं, तो आप इस पर विचार कर सकते हैं. मैं अभी भी दो-तीन दिन और विपक्ष में हूं." पूरी खबर के लिए यहां क्लिक करें.
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट गहराता नजर आ रहा है. महाराष्ट्र कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के बागी होने के बाद राजनीतिक गलियारों में शुरू हुई उठापटक अब कोर्ट पहुंच गई है. दरअसल, विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किए जाने के बाद शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और पार्टी द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित करने वाली याचिका को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है. पूरी खबर के लिए यहां क्लिक करें.
शिवसेना के बागी विधायक क्या राज ठाकरे की एम एन एस में अपने गुट का विलय कर सकते हैं ? ये संभावना और सवाल इसलिए, क्योंकि बागियों के बीजेपी या प्रहार पार्टी में विलय से उनकी अपनी पहचान और बाल ठाकरे की विरासत पर से अधिकार खत्म हो जायेगा. जबकि एमएनएस में विलय से बाल ठाकरे और हिंदुत्व दोनों का सहारा मिलेगा. चर्चा है कि कल इसी संभावना की तलाश में एकनाथ शिंदे ने एम एन एस प्रमुख राज ठाकरे से फोन पर बात की है. हालांकि, एम एन एस या शिंदे गुट ने अभी इसकी पुष्टि नही की है. वैसे बहुत कुछ आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा.
महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच उद्धव खेमे और शिंदे खेमे के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है. इस बीच, शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना के संपादकीय में बागी विधायकों के रवैये पर तीखा तंज कसा गया है. इसके साथ ही बीजेपी को भी आड़े हाथों लिया गया है. संपादकीय में लिखा गया है कि आखिरकार, गुवाहाटी प्रकरण में भाजपा की धोती खुल ही गई.
शिवसेना के असंतुष्ट नेता एकनाथ शिंदे ने रविवार को पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए आश्चर्य जताया कि बाल ठाकरे की पार्टी उस दाऊद इब्राहिम के साथ सीधे संबंध रखने वाले लोगों का समर्थन कैसे कर सकती है, जो कई बम विस्फोट करके निर्दोष मुंबईकरों को मारने के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि इस तरह के समर्थन के विरोध में उनके और अन्य विधायकों द्वारा विद्रोह का झंडा उठाया गया है और उन्हें बाल ठाकरे की शिवसेना को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं है. (भाषा)