- राष्ट्रपति 25 सितंबर को मथुरा और वृंदावन जाकर बांके बिहारी मंदिर एवं कृष्ण जन्म स्थान पर पूजा करेंगी.
- राष्ट्रपति महाराजा एक्सप्रेस नामक विशेष ट्रेन से यात्रा करेंगी, जिसमें आधुनिक सुविधाओं से लैस सोलह कोच हैं.
- ट्रेन में मेडिकल टीम, राष्ट्रपति परिवार, स्टाफ और अधिकारियों के लिए अलग-अलग नामित कोच मौजूद हैं.
President Train : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार ( 25 सितम्बर ) को यूपी के मथुरा और वृंदावन जा रही हैं. इस दौरान वह बांके बिहारी मंदिर और कृष्ण जन्म स्थान पहुंच कर पूजा अर्चना करेंगी. राष्ट्रपति का दौरा इस बार काफी खास है क्योंकि वह ट्रेन का सफर तय करके मथुरा पहुंचेंगी.
President Train : किस ट्रेन से जाएंगी राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक विशेष ट्रेन के जरिए मथुरा जाएंगी. इस ट्रेन का नाम महाराजा एक्सप्रेस है, जो 16 कोच की होती है. दो इंजन वाली यह ट्रेन आधुनिक सुविधाओं से लैस. इसमें रेस्टोरेंट, सूट, लाउंज और किचन शामिल है.
कैसा है राष्ट्रपति की ट्रेन?
राष्ट्रपति की ट्रेन रेलवे की अन्य गाड़ियों से काफी अलग और खास होती है. इसमें रेलवे स्टाफ और अधिकारियों के अलावा राष्ट्रपति के परिवार और उनके ऑफिस के लोगों के लिए अलग-अलग कोच उपलब्ध होता है. वहीं मेडिकल टीम के लिए भी एक कोच शामिल है. कुल मिलाकर महाराजा एक्सप्रेस इस प्रकार होती है.
- इंजन - 2
- रेलवे कोच - 2
- पावर कार - 2
- सूट - 2
- प्रेजिडेंट सूट - 1
- लाउंज- 2
- किचन - 1
- रेस्टुरेंट - 2
- जूनियर सूट - 3
- स्टाफ कोच - 1
हर कोच का नाम, सबके के लिए अलग डिब्बा
राष्ट्रपति जिस ट्रेन से चलती है वह कई महीनो में खास होती है. इसमें हर व्यक्ति के लिए अधिकृत कोच है और उनका अलग-अलग नाम भी रखा गया है. रेलवे कोच रेलवे के स्टाफ और उसके अधिकारियों के लिए होता है. एक सूट मेडिकल टीम, दूसरी में राष्ट्रपति का परिवार सफर करतता हैं. मेडिकल टीम के सूट का नाम "नीलम" है जबकि राष्ट्रपति का परिवार जिस सूट में यात्रा करता है, उसका नाम "हीरा" है. प्रेसिडेंट सूट का नाम "नवरत्न" दिया गया है. इसमें सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं.
राष्ट्रपति के सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी जिस लाउंज में यात्रा करते हैं, उसका नाम "राजह क्लब" हैं. वहीं, ट्रेन के किचन और रेस्टोरेंट में काम करने वाले सभी कर्मचारी राष्ट्रपति भवन के ही होते हैं. राष्ट्रपति की सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी जी रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं उसका नाम "मयूर महल" है.
ट्रेन में कॉमन एरिया के नाम पर लाउंज है जिसका नाम "सफारी " है. राष्ट्रपति सचिवालय की जो अन्य अधिकारी होते हैं वह जूनियर सूट में सफर करते हैं, जिसका नाम "गोमद" और "मानिक " रखा गया है. ट्रेन में बड़ा एरिया के नाम पर एक और रेस्टोरेंट है जिसका नाम "रंग महल" रखा गया है.
वहीं, रेलवे के अधिकारियों के लिए एक जूनियर सूट भी है रखा गया है, जिसका नाम "मूंगा" है. ट्रेन में एक अन्य स्टाफ कोच है जिसमें राष्ट्रपति के दल के लोग सफर करते हैं. कुल मिलाकर कहें तो ट्रेन में मिनी राष्ट्रपति भवन जैसा वातावरण रहता है. इस ट्रेन में राष्ट्रपति के अलावा उनके स्टाफ के अधिकारी, सुरक्षा कर्मी, शेफ और राष्ट्रपति भवन में काम करने वाले कर्मचारी साथ में सफर करते हैं.
ट्रेन में खाने-पीने सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं. यह ट्रेन आपातकालीन स्थिति को छोड़कर कहीं पर रूकती नहीं है. पूरी ट्रेन वातानुकूलित होती है और इसमें सिर्फ राष्ट्रपति ही सफर करती हैं. पूरी ट्रेन को देखेंगे तो समझ में आएगा कि जिस प्रकार एक राजा का महल होता है उसी प्रकार से ट्रेन को बनाया गया है.
27 महीने बाद राष्ट्रपति का ट्रेन से सफर
द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद यह दूसरा मौका है जब वह इस ट्रेन से सफर करेंगी. इससे पहले 27 महीने पूर्व साल 2003 जून में राष्ट्रपति भुवनेश्वर से अपने गृहनगर रायरंगपुर (ओडिशा) गई थीं.