महाकुंभ में ये तीन साल के सन्यासी बनें लोगों के आकर्षण का केंद्र, जूना अखाड़े में सीख रहे हैं अध्यात्म

महंत संतपुरी जी महाराज के मुताबिक श्रवणपुरी तीन महीने के थे जब उन्हें हरियाणा के फतेहाबाद जिला गांव धारसुल में इनका परिवार इन्हें अखाड़े के सुपुर्द कर गया था.

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प्रयागराज:

संगम की रेती पर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक मेले महाकुंभ की शुरुआत होने में सिर्फ चार दिन बचे हैं. वहीं इस मेले में आकर्षण का केंद्र रहने वाले अखाड़ों के साधु-संतों के शिविरों में भी भक्ति और ज्ञान की गंगा बहती हुई नजर आ रही है. अखाड़ों के शिविर में देशभर से बड़े-बड़े साधु-संत पहुंचे हुए हैं. सनातन और धर्म की रक्षा करने वाले अखाड़ों का वैभव इन दिनों मेला क्षेत्र में देखते ही बन रहा है. 13 अखाड़ों में देश के सबसे बड़े कहे जाने वाले शैव परंपरा के जूना अखाड़े के शिविर में इन दिनों एक तीन साल का छोटा संत चर्चा का विषय बना हुआ है. जी हां पंजाब के रहने वाले तीन साल के इस छोटे संत और बालक का नाम है श्रवण पुरी है.

3 साल के संत हैं श्रवण पुरी

जूना अखाड़े के शिविर में बने 16 मढ़ी डेरा बाबा श्यामपुरी महाराज से जुड़े कौशल महंत संत पुरी जी महाराज के शिविर में ये तीन साल के छोटे सन्यासी श्रवण पुरी रह रहे हैं. महंत संतपुरी जी महाराज के मुताबिक श्रवणपुरी तीन महीने के थे जब उन्हें हरियाणा के फतेहाबाद जिला गांव धारसुल में इनका परिवार इन्हें अखाड़े के सुपुर्द कर गया था. इस तीन साल के चंचल बालक का नया नामकरण जूना अखाड़े से जुड़ने के बाद किया गया. भगवा और केसरिया रंग के कपड़ों में ये छोटे संत खुश नजर आते हैं.

पंजाब का रहने वाला श्रवण पुरी का परिवार

हालांकि, श्रवण पुरी का परिवार पंजाब का रहने वाला है और संत पुरी महाराज की शरण में आने के बाद परिवार ने अपने छोटे बालक को जूना अखाड़े में संत के रूप में दान दे दिया था. तीन महीने की आयु से ही ये बालक अब तीन साल का होने के बाद छोटे सन्यासी के रूप में बड़े महात्माओं और संतों के बीच अध्यात्म सीख रहा है. तीन साल की उम्र में जिस उम्र में जहां एक छोटे बच्चे के खेलने की उम्र होती है वहीं इस नन्हे और छोटे बच्चे ने जूना अखाड़े में आकर गुरुओं के बीच सन्यास लिया है. संत हालांकि अभी छोटे हैं और अपनी तोतली आवाज़ में बस हंसतें मुस्कुराते हुए कम बोल पाते हैं. 

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