मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के गुना में शनिवार तड़के शिकारियों (Poachers) ने 3 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी. जिसके बाद सरकार के तेवर सख्त हैं. इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने अपने निवास पर तीनों पुलिसकर्मियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री का कहना है कि अपराधियों को " क्रश" कर देंगे लेकिन पिछले 5 महीने में सिर्फ पुलिसवालों पर कई बार हमले हुए. अवैध शिकार के हजारों केस लंबित हैं. बावजूद इसके वन विभाग में कई पद खाली हैं. गुना में 3 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद एक आरोपी उसी वक्त हमले में मारा गया और बाद में 2 आरोपी एनकाउंटर में मारे गये.
वही, रविवार को 2 आरोपियों ने भागने की कोशिश की तो पुलिसवालों ने उनके पैर में गोली मार दी. घटना के बाद गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने सोमवार को कहा "कानून अपना काम सख्ती से करेगा. अपराधी अच्छे से समझ ले किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. कार्रवाई ऐसी होगी कि नजीर बनेगी. गुना कांड में एक अपराधी पुलिस के साथ रात में हुई मुठभेड़ में मारा गया था.
उसके बाद एक अपराधी एनकाउंटर में मारा गया और दो अन्य अपराधी घायल है. इसके अलावा चार की तलाश जारी है. जल्द ही उन चारों को भी ढूंढ लिया जाएगा. "इन बेगुनाहों के गुनहगार - नौशाद, शहजाद, गुल्ला, दिलशाद और बबलू खान ने 400 बारातियों को खिलाने के लिये 4 काले हिरण और एक मोर को मार दिया.
कांग्रेस अब इन आरोपियों की तस्वीरें बीजेपी नेताओं के साथ दिखा रही है तो वहीं बीजेपी का आरोप है कि शिकारियों को कांग्रेस का संरक्षण है. मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा "स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है उनका आरोप है राधौगढ़ किले से जुड़े लोग जिनकी आदत इस प्रकार की आज से नही लगातार करते आए हैं.... इनको हमेशा इस प्रकार का संरक्षण मिला है.... इस की जांच होनी चाहिए कि दिग्विजय सिंह जी का आरोपियों से क्या संबंध है..... जांच एजेंसियों को भी इस संबंध में जांच करनी चाहिए". वहीं कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा "शिवराज जी, आपने सत्ता के बदले में ग्वालियर और चंबल संभाग को उन लोगों को ठेके पर दे दिया हैं जो आपकी सत्ता हवस पूरी करने के सहयोगी बने हैं.
गुना के गुनाहगारों को बीजेपी के नेता और एक मंत्री का संरक्षण सामने आने के बाद भी आप मौन हैं. " सरकार ने इस मामले में उच्च स्तरीय बैठक ली, कहा अपराधियों को नहीं छोड़ेंगे. लेकिन हकीकत में, पिछले 5 महीने में पुलिसवालों पर 51 से ज्यादा हमले हुए हैं. राज्य में हर साल अवैध शिकार के लगभग 600 केस दर्ज होते हैं, जिसमें 2500 से ज्यादा केस कोर्ट में लंबित हैं. 2021 में वन अपराध के 52205 मामले दर्ज हुए हैं. ये हालात इसलिये भी हैं क्योंकि राज्य में 308252 वर्ग किमी में फैले जंगल की. सुरक्षा में 16898 वनकर्मी तैनात हैं. आरक्षक और वन क्षेत्रपालों के ही 4000 से ज्यादा पद खाली हैं.
हालात क्या हैं उसका अंदाजा इन तस्वीरों से लगाएं, राजधानी भोपाल में एफएसएल में पदस्थ कॉन्स्टेबल को कुछ लड़कों ने रानी कमलापति स्टेशन पर पीट दिया, सिर में 10 टांके आए फिर सिपाही अनिल कुमार की शिकायत पर मामला दर्ज नहीं हुआ, अधिकारियों के हस्तक्षेप से मामला दर्ज हुआ तो बेहद मामूली धाराओं में "वो मोटरसाइकिल पर खड़ा था मैंने आगे बढ़ने के लिये हॉर्न बजाया तो वो लड़का गाली गलौच करने लगा मैंने कहा भी कि मैं पुलिसवाला हूं. पीछे कार में उसके दोस्त थे सबने मिलकर मुझे पीटा. बाद में मैंने जीआरपी थाने में शिकायत की तो उन्होंने कहा ये हमारा केस नहीं है."
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