कूनो नेशनल पार्क में चीता ज्वाला के 2 और शावकों की मौत, भीषण गर्मी और डिहाइड्रेशन से बिगड़ी थी तबीयत

नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला (सियाया) ने बीते 24 मार्च को ही पार्क में 4 शावकों को जन्म दिया था. इनमें से अब तक 3 शावकों की मौत हो चुकी है.

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पिछले साल कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे.
भोपाल:

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park News) में चीता ज्वाला के दो शावकों की मौत हो गई है. दो दिन पहले भी ज्वाला के एक शावक की मौत हुई थी. ज्वाला ने करीब दो महीने पहले चार शावकों को जन्म दिया था. इनमें से तीन की मौत हो गई है. वहीं, एक शावक की भी तबीयत खराब है. इससे पहले तीन बड़े चीतों की भी कूनो नेशनल पार्क में मौत हो चुकी है. 

शावकों की मौत की पुष्टि कूनो नेशनल पार्क ने की है. मध्य प्रदेश प्रधान मुख्य वन संरक्षक की तरफ से बताया गया है कि 23 मई को भीषण गर्मी रही और लू चलती रही. दिन का तापमान यहां 46-47 डिग्री सेल्सियस रहा. शावकों की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए मैनेजमेंट और वाइल्डलाइफ डॉक्टरों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर इलाज करने का फैसला लिया. इस बीच दो शावकों की स्थिति बहुत खराब हो गई और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. मौत की वजह अत्यधिक गर्म मौसम और डिहाइड्रेशन बताई जा रही है.

एक शावक की हालत अभी गंभीर
अधिकारी की तरफ से बताया गया है कि एक शावक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और उसे इलाज के लिए पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया है. इसके साथ ही नामीबिया और साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है. वहीं, मादा चीता ज्वाला अभी स्वस्थ है. उसकी निगरानी की जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी चिंता
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने भी दो महीने से कम समय में तीन चीतों की मौत पर चिंता जाहिर की थी. अदालत ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश लाए गए चीतों को पड़ोसी राजस्थान में शिफ्ट करने का सुझाव दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "दो महीने से भी कम समय में तीन मौतें गंभीर चिंता का विषय है. विशेषज्ञों की राय और मीडिया में इसे लेकर आर्टिकल हैं. ऐसा लगता है कि कूनो नेशनल पार्क इतने सारे चीतों के लिए पर्याप्त नहीं है."

कोर्ट ने कहा था, "एक जगह चीतों का बहुत अधिक जमावड़ा है. आप राजस्थान में एक उपयुक्त जगह की तलाश क्यों नहीं करते? सिर्फ इसलिए कि राजस्थान में एक विपक्षी पार्टी का शासन है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप इस पर विचार नहीं करेंगे."

पिछले साल लाए गए थे 20 चीते
 पिछले साल 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. इसके बाद साउथ अफ्रीका से भी 12 चीतों को यहां लाकर बसाया गया. प्रोजेक्ट चीता के तहत चीतों को चरणबद्ध तरीके से क्वारांटाइन, बड़े बाड़े में रखने के बाद खुले जंगल में छोड़ेने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला (सियाया) ने बीते 24 मार्च को ही पार्क में 4 शावकों को जन्म दिया था. इनमें से अब तक 3 शावकों की मौत हो चुकी है. 

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इससे पहले 27 मार्च को साशा नाम की चीता की किडनी की बीमारी के कारण मौत हो गई थी. उससे पहले 23 अप्रैल को नर चीता उदय की कार्डियो-पल्मोनरी फेल्योर के कारण मौत हो गई. 9 मई को दक्ष नाम के एक अन्य मादा चीता की मौत हो गई. एक्सपर्ट ने कूनो नेशनल पार्क में हाई डेथ रेट की चेतावनी दी है.
 

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