मध्यप्रदेश बजट 2022-23: कांग्रेस के हंगामे के बीच पेश हुआ बजट, जानिए किसके लिए क्या है खास

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बजट को सिर्फ झूठ और गुमराह करने वाला बताया और कहा ये जनता को धोखा देने वाला बजट है. इसमें सिर्फ़ कागज़ी प्रावधान किये गये हैं. आगामी चुनावों को देखते हुए एक बार फिर झूठे सपने दिखाए गये हैं.

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बजट में सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 20% से बढ़ाकर 31% करने का फैसला किया है
भोपाल:

मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2022 के बजट को विधानसभा में पेश किया. इस दौरान वो सरकार के कामों को गिनाते रहे, कांग्रेस के विधायक हंगामा मचाते रहे. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बजट को सिर्फ झूठ और गुमराह करने वाला बताया और कहा ये जनता को धोखा देने वाला बजट है. इसमें सिर्फ़ कागज़ी प्रावधान किये गये हैं. आगामी चुनावों को देखते हुए एक बार फिर झूठे सपने दिखाए गये हैं. वहीं सरकार का दावा है कि मध्यप्रदेश की जीएसडीपी देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक 19.74% है, जो साबित करता है कि मध्यप्रदेश अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देश का सबसे तेज बढ़ने वाला राज्य है.

मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा लगभग डेढ़ घंटे तक बजट भाषण पढ़ते रहे, पूरे वक्त सदन के अंदर कांग्रेस हंगामा मचाती रही. बजट भाषण खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है. ये कांग्रेस ने आज सिद्ध किया है. बजट भाषण ना सुनना, उसमें अवरोध पैदा करना, जो कांग्रेस ने आज किया है, वो उसका बौद्धिक दिवालियापन है. जनता, किसान, गरीब, व्यापारी हर एक की रूचि रहती है बजट सुनें. मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ. ये कुंठा, हताशा का प्रतीक है. 

इस व्यवधान के बीच बजट में सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 20% से बढ़ाकर 31% करने का फैसला किया है, जिसका फायदा साढ़े सात लाख कर्मचारियों को मिलेगा. 13000 शिक्षकों की नियुक्ति की बात है. पुलिस महकमे में 6000 भर्ती होगी. MBBS की सीटें 2035 से बढ़ाकर 3250 की जाएंगी. नई एंट्री चाइल्ड बजट है जिसमें 27,792 करोड़ रु. का प्रावधान है. 31 लाख हितग्राहियों को पीएम आवास योजना का लाभ दिया जाएगा, जिसके लिये 10,000 करोड़ रु. का प्रावधान रखा गया है. किसानों को 1.72 लाख करोड़ की सहायता दी गई है. स्वरोजगार योजनाओं में 14,556 करोड़ का कर्ज उपलब्ध करवाकर 28,63,779 लोगों की मदद की गई है. मनरेगा के बजट में 75 फीसद वृद्धि कर इसे 3500 करोड़ रु करने का प्रस्ताव है. अनुसूचित जनजाति कल्याण का बजट 24,911 करोड़ से बढ़ाकर 26,941 करोड़ अनुसूचित जाति कल्याण का बजट 17,980 से बढ़ाकर 19,020 करोड़ करने का प्रावधान है.स्कूली शिक्षा का बजट 25,953 करोड़ रु से बढ़ाकर 27,792 करोड़ रु. करने का प्रावधान है.

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उधर, कांग्रेस का कहना है कि बजट में किसी वर्ग के लिये कुछ नहीं है, वहीं बीजेपी बजट की तारीफों के पुल बांध रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा मैं वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा को हार्दिक बधाई देता हूं कि विधानसभा में ऐतिहासिक बजट पेश किया गया है. मध्य प्रदेश की जो विकास दर रही है, वह देश में करेंट रेट पर अब तक जो प्राप्त आंकड़े हैं, उनमें सबसे ज्यादा है. 19.7% से ज्यादा की विकास दर हासिल करने में मध्यप्रदेश सफल रहा है. यह प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यह बजट केवल अर्थशास्त्रियों ने, अधिकारियों ने नहीं बनाया है, यह बजट जनता के सुझाव के आधार पर बनाया गया है. हमने अर्थशास्त्रियों से समाज के अलग-अलग वर्गों से सुझाव आमंत्रित किए थे और मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि वित्त मंत्री जी ने उनमें से आने को सुझावों को सम्मिलित किया है. यह बजट महिलाओं के उत्थान का बजट है. इस बजट में अगर जेंडर वैजिस्ट्रिंग की दृष्टि से हम देखें तो विभिन्न विभागों की अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत 84 हजार 512 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. 

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उन्होंने कहा कि अधोसंरचना के विकास से अर्थव्यवस्था को गति मिलती है. उसके लिए 48  हजार करोड़ से ज्यादा का प्रावधान किया गया है, जो मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाएगा. सड़कों के निर्माण, सिंचाई की व्यवस्थाओं के लिए और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. अधोसंरचना निर्माण पर ये खर्चा, रोजगार के भी अनेकों अवसर सृजित करने का काम करेगा. यह बजट बच्चों के बेहतर भविष्य का बजट है. हमने इस बार चाइल्ड बजट की बात कही थी बच्चों के कल्याण से संबंधित योजनाएं स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा से संबंधित बेहतर शिक्षा के लिए सीएम राइज स्कूल प्रारंभ किए जा रहे हैं. अलग-अलग चरणों में लगभग 7000 करोड़ रुपए इसमें व्यय किए जाएंगे. अलग-अलग बाल कल्याण की योजनाओं जो खर्च किया जाएगा, विभिन्न विभाग का अगर वो जोड़ा जाए, 57803 करोड़ का इसमें प्रावधान किया गया है.

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वहीं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा हर वर्ग मध्यप्रदेश का परेशान है, इस बजट से और परेशान होगा. दूध महंगा, तेल महंगा, शराब सस्ती, किसानों के लिये बजट में कुछ नहीं है. किसानों के साथ फिर धोखा हो रहा है. हर वर्ष सरकार को हिसाब देना होता है कि रोज़गार, कृषि और बाकी के क्षेत्र में क्या-क्या किया गया. लेकिन इस बार भी बजट केवल झूठ और फरेब का तोता साबित हुआ है. ये बजट जनता को धोखा देने वाला बजट है. महंगाई से राहत देने के कोई इंतजाम नहीं है. जनता पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले भारी भरकम करों में राहत की मांग कर रही थी लेकिन कोई राहत नहीं दी गई. जहां प्रदेश में बेरोजगारी का आंकड़ा 30 लाख को पार कर चुका है, वहीं रोजगार प्रदान करने को लेकर इस बजट में कोई ठोस कार्ययोजना व प्रावधान नहीं है. प्रदेश की 85 % ओबीसी - एससी-एसटी वर्ग की आबादी के युवाओं को रोज़गार देने के लिये मात्र 150 करोड़ का प्रावधान किया गया है. 

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उन्होंने कहा कि एक तरफ़ प्रदेश में गौ माताओं की भूख-प्यास व देखरेख के अभाव में प्रतिदिन मौत हो रही है. हजारों गौमाताओं की मौत की तस्वीरें सामने आ चुकी है. उसको रोकने के इंतज़ाम पर कोई बात नहीं और वही दूसरी तरफ़ झूठे सपने दिखाते हुए कहा गया है कि गौ संवर्धन के लिए नई योजना लायेंगे. कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे थे, उस पर कोई निर्णय नहीं है.
प्रदेश में हज़ारों स्कूलों में कई वर्षों से शिक्षक नहीं है और एक बार फिर शिक्षकों की भर्ती के झूठे सपने दिखाये गये हैं, जबकि पिछले बजट में शिक्षकों की भर्ती के जो वादे किये गये थे, वो आज तक अधूरे हैं. प्रदेश में 4000 किमी सड़कों का निर्माण का वादा, ऊंट के मुंह में जीरा समान है. इस बजट में गरीब, किसान, मध्यमवर्गीय वर्ग, महिलाओं, युवाओं, छोटे व्यापारी के लिए कुछ नहीं है.

बता दें कि विधानसभा में ही पेश आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक कर्ज और बेरोज़गारी दोनों बढ़ रहे हैं. मार्च 31 2021 तक सरकार पर कर्ज 1,59,008.74 करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग 2,09,019.47 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. प्रति व्यक्ति अनुमानित आय 1,24,685 रुपये से बढ़कर 1,50,326 रुपये होने का अनुमान है, लेकिन ये राष्ट्रीय स्तर से 35% कम है. वहीं बीते एक साल में राज्य में 5.46 लाख बेरोजगार बढ़ गए हैं. 2020 में में पिछले साल 24.72 लाख पंजीकृत बेरोजगार थे, जो अब 30.23 लाख हो गए हैं. हालांकि केंद्र सरकार का ई-श्रम पोर्टल बताता है कि राज्य में 1.30 करोड़ बेरोज़गार हैं जिसमें 35% ग्रेजुएट हैं. स्कूली शिक्षा पर 3500 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चे एक साल में 1.80 लाख कम हो गए. प्राथमिक कक्षाओं में 1.35 फीसद बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया जबकि मिडिल स्कूल में 6.36 फीसद बच्चे स्कूल वापस नहीं लौटे.

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