मध्य प्रदेश बार काउंसिल (MP Bar Council) ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना (Chief Justice NV Ramana) से अनुरोध किया है कि राज्य में जिला अदालत के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct) तैयार की जाए, क्योंकि वकीलों ने शिकायत की है कि उनमें से कुछ न्यायाधीश सुनवाई के दौरान भी मोबाइल फोन से चिपके रहते हैं और समय सारणी का पालन नहीं करते.
मध्य प्रदेश की स्टेट बार काउंसिल (एसबीसीएमपी) ने सीजेआई को एक पत्र लिखा है. बार काउंसिल के अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की.
एसबीसीएमपी एक वैधानिक निकाय है, जो कानूनी प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस जारी करता है और कदाचार के लिए अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार रखता है.
बार काउंसिल के अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा ने कहा, ''एसबीसीएमपी ने सीजेआई एन. वी. रमन को एक पत्र लिखा है जिसमें राज्य में जिला अदालतों के लिए आचार संहिता की मांग की गई है.''
उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने का कारण यह है कि जिला अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले वकील निचली अदालतों के कामकाज से बुरी तरह व्यथित हैं. मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल को राज्यभर के कई बार एसोसिएशन से पत्र मिले हैं, जिसमें कोर्ट के वर्किंग आवर्स के दौरान कुछ न्यायिक अफसरों के व्यवहार संबंधी रवैये और समय सारणी का पालन नहीं करने की शिकायत की गई है."
उन्होंने कहा, "अदालती कार्यवाही और कोर्ट में बैठे होने के दौरान कुछ न्यायिक अधिकारियों द्वारा मोबाइल फोन का इस्तेमाल और सोशल मीडिया पर सर्फिंग पर प्रतिबंध होना चाहिए."
पत्र में कहा गया है, "अदालती कार्यवाही के समय और कोर्ट के कामकाज के वक्त में कोर्ट में बैठे रहने के दौरान मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल आदि के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध होना चाहिए."