मध्य प्रदेश में दो महिलाएं जिंदा ही दफन हो जातीं यदि उन्हें समय रहते बचा नहीं लिया जाता. इन महिलाओं पर एक डंपर से बजरी फेंकी गई थी. रीवा जिले के हिनौता में हुई हमले की यह घटना जमीन विवाद का नतीजा थी. ममता पांडे और आशा पांडे नाम की महिलाएं बजरी के ढेर में कमर और गर्दन तक दब गई थीं. उन्हें स्थानीय लोगों ने फावड़े की मदद से बजरी के ढेर में से निकालकर बचाया. उनमें से एक महिला बेहोश हो गई थी जिसका बाद में इलाज कराया गया.
यह टकराव मंगावा थाना क्षेत्र में तब हुआ, जब गांव में एक सड़क निर्माण प्रोजेक्ट को लेकर महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही थीं. उन्होंने दावा किया कि जमीन पट्टे पर दी गई थी. वे सड़क निर्माण का विरोध कर रही थीं.
हालांकि महिलाओं की आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया गया. स्थिति तब और बिगड़ गई जब स्थानीय दबंगों के आदेश पर डंपर चालक ने उन पर बजरी डाल दी. घटना का वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें बजरी डाले जाने से ठीक पहले डंपर के पीछे बैठी महिलाएं दिखाई दे रही हैं. बाद में महिलाओं को बेहोशी की हालत में इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगेव ले जाया गया.
एडिशनल एसपी विवेक लाल ने मामले की जांच किए जाने की पुष्टि की. लाल ने कहा, "महिलाएं विरोध कर रही थीं और डंपर से बजरी पलट दी गई, जिससे वे दब गईं. दोनों पक्षों में पारिवारिक जमीन को लेकर विवाद है. पहले हाथापाई हुई और फिर ममता और आशा पांडे पर बजरी फेंकी गई."
पीड़ितों की ओर से दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, खसरा नंबर 257 की उनकी पट्टे वाली जमीन पर बजरी डाली जा रही थी. उसे रोकने की कोशिश की गई तो उन पर हमला किया गया. उन्होंने गौकरण प्रसाद पांडे, महेंद्र प्रसाद पांडे और अन्य कई व्यक्तियों पर हमला करने और डंपर चालक पर उन्हें जिंदा दफनाने के की कोशिश करने का आरोप लगाया.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने महिलाओं की सुरक्षा में राज्य सरकार की विफलता की आलोचना की और कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में मध्य प्रदेश सबसे आगे है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने भी यही बात दोहराई और बीजेपी सरकार के तहत माफियाओं के प्रभुत्व और कमजोर लोगों के निरंतर उत्पीड़न की निंदा की.
अतिरिक्त एसपी वीके लाल ने बताया कि जांच की जा रही है, गवाहों के बयानों का विश्लेषण किया जा रहा है. लाल ने कहा, "केस दर्ज किया गया है, और हम सभी सुरागों का पता लगा रहे हैं."
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