लोकसभा चुनाव : राज्यों को पहुंची अमिट स्याही; जानिए किसे कितनी मिली और कौन सी कंपनी बनाती है इस स्याही को

कंपनी के प्रबंध निदेशक इरफान ने कहा कि यह अमिट स्याही कनाडा, घाना, नाइजीरिया, मंगोलिया, मलेशिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और मालदीव सहित 25 से अधिक देशों में निर्यात की जाती है.

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मिट स्याही किसी मतदाता के बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली पर इस बात के प्रमाण के रूप में लगाई जाती है कि उसने एकाधिक मतदान को रोकने के लिए वोट डाला है.
बेंगलुरु:

मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को करीब 55 करोड़ रुपये मूल्य की अमिट स्याही की 26.55 लाख से अधिक शीशियों की आपूर्ति कर दी है. कंपनी की ओर से उत्तर प्रदेश को अमिट स्याही की सबसे बड़ी खेप की आपूर्ति की गयी है. कर्नाटक सरकार का उपक्रम एमपीवीएल 1962 से केवल निर्वाचन आयोग के लिए अमिट स्याही का निर्माण कर रहा है.

देश में सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल को शुरू होंगे और मतगणना चार जून को होगी. लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होंगे.

कंपनी ने कहा कि उसने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 36 करोड़ रुपये मूल्य की अमिट स्याही की 25.98 लाख से अधिक शीशियों की आपूर्ति की थी. कंपनी को मिले ऑर्डर के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में स्याही की सबसे अधिक आपूर्ति उत्तर प्रदेश को की गयी थी, जिसे उस समय 3.64 लाख शीशियां प्राप्त हुईं थी जबकि सबसे कम लक्षद्वीप को 125 शीशियां स्याही प्राप्त हुईं थीं.

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पिछले संसदीय चुनाव के मुकाबले इस बार अमिट स्याही की आपूर्ति में 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. निर्वाचन आयोग के अनुसार जनवरी तक, भारत में लगभग 97 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से अधिकतम 15.30 करोड़ से अधिक मतदाता उत्तर प्रदेश में हैं और न्यूनतम मतदाता 57,500 लक्षद्वीप में हैं.

मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के. मोहम्मद इरफान ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल मिलाकर अमिट स्याही की 26.55 लाख शीशियां भेजी जा चुकी हैं. सबसे अधिक ऑर्डर उत्तर प्रदेश से था और मांग के अनुसार, राज्य को स्याही की 3.58 लाख शीशियों की आपूर्ति की गई है, जबकि सबसे कम मांग वाले लक्षद्वीप को 110 शीशी स्याही की आपूर्ति की गई है.''

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गहरा बैंगनी निशान छोड़ने वाली यह अमिट स्याही किसी मतदाता के बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली पर इस बात के प्रमाण के रूप में लगाई जाती है कि उसने एकाधिक मतदान को रोकने के लिए वोट डाला है. कंपनी की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र को अमिट स्याही की 2.68 लाख शीशियां, पश्चिम बंगाल को दो लाख शीशियां, बिहार को 1.93 लाख शीशियां, तमिलनाडु को 1.75 लाख शीशियां, तेलंगाना को 1.50 लाख शीशियां, मध्य प्रदेश को 1.52 लाख शीशियां, कर्नाटक को 1.32 लाख शीशियां, राजस्थान को 1.30 लाख शीशियां, आंध्र प्रदेश को 1.16 लाख शीशियां, गुजरात को 1.13 लाख शीशियां, केरल को 63,000 शीशियां, पंजाब को 55,000 शीशियां, हरियाणा को 42,000 शीशियां, दिल्ली को 35,000 शीशियां जबकि जम्मू-कश्मीर को स्याही की 30,000 शीशियों की आपूर्ति की गई है.

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इसी तरह, अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में झारखंड को 75,380 शीशियां, हिमाचल प्रदेश को 22,000 शीशियां, मणिपुर को 8,000 शीशियां, चंडीगढ़ को 1,500 शीशियां और गोवा को 5,000 शीशियां मिलीं हैं. इस अमिट स्याही की 10 मिलीलीटर की शीशी का उपयोग लगभग 700 लोगों की उंगलियों पर निशान लगाने के लिए किया जा सकता है. औसतन एक मतदान केंद्र पर लगभग 1,500 मतदाता होते हैं.

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निर्वाचन आयोग के मुताबिक, चुनाव के लिए देशभर में 12 लाख से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. कंपनी के प्रबंध निदेशक इरफान ने कहा कि यह अमिट स्याही कनाडा, घाना, नाइजीरिया, मंगोलिया, मलेशिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और मालदीव सहित 25 से अधिक देशों में निर्यात की जाती है.
 

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