उत्तर प्रदेश में 44 सीटों पर कैसे हार गई बीजेपी? पार्टी ने शुरू की समीक्षा

लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश की 80 में से 44 सीटों पर भाजपा को हार झेलनी पड़ी है. अब बीजेपी ने इन सीटों पर हार की समीक्षा शुरू कर दी है.

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भाजपा ने 44 सीटों पर हार की समीक्षा के लिए 62 नेताओं की कमेटी बनाई है. (प्रतीकात्‍मक)
लखनऊ:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में बीजेपी (BJP) को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से लगा है, जहां पर बीजेपी और उसके सहयोगियों को 44 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा है. ऐसे में अब बीजेपी हार के कारणों की समीक्षा कर रही है, ताकि जो नुकसान हुआ है वैसा आगे न हो. बीजेपी अध्यक्ष अब एक-एक सीट पर बूथ स्तर से रिपोर्ट लेकर उसकी समीक्षा करेंगे और इस रिपोर्ट के जरिए पार्टी नेतृत्व को उत्तर प्रदेश के हालात से रूबरू कराया जाएगा. 

बीजेपी ने हार की वजह तलाशनी शुरू कर दी है और इस वजह से हारे हुए प्रत्याशियों के अलावा लोकसभा सीट के पार्टी के पदाधिकारी बताएंगे क‍ि बताएंगे हार मिली तो क्यों मिली. इस समीक्षा के आधार पर बीजेपी की जो कमियां हैं, उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी. अपेक्षित परिणाम ना मिलने के बाद पार्टी में मंथन का दौर शुरू हो गया है. 

हार की समीक्षा के लिए 62 नेताओं की कमेटी 

बीजेपी ने इस बार लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था और पार्टी पदाधिकारी ये मान रहे थे कि बीजेपी कम से कम 70 सीटें तो जीतेगी ही, लेकिन परिणाम अपेक्षित नहीं रहा. बीजेपी अकेले सिर्फ 33 सीटें जीत सकी. वहीं एनडीए के सहयोगियों को मिलाकर जीत का आंकड़ा 36 तक ही पहुंच सका. यानी 44 ऐसी सीटें थीं जो बीजेपी नहीं जीत पाई और इन 44 सीटों पर हार की समीक्षा के लिए 62 नेताओं की एक कमेटी बनाई गई है. 

पार्टी जितनी भी समीक्षा कर ले, लेकिन हारने वाले प्रत्याशी पार्टी के ही नेताओं पर दोष मढ़ने से पीछे नहीं हट रहे हैं. कुछ ऐसा ही आरोप बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद रहे आरके सिंह पटेल लगा रहे हैं, जो इस बार चुनाव हार गए. 

आगामी उपचुनावों को देखते हुए समीक्षा जरूरी 

उत्तर प्रदेश में 80 में से 44 सीटें हारने वाली बीजेपी अब इन सीटों पर हार की समीक्षा इसलिए भी कर रही है, क्योंकि आने वाले दिनों में कुछ चुनाव होने हैं. नौ ऐसे विधायक हैं, जो सांसद बने हैं और इन नौ सीटों पर उपचुनाव होना है. इन 9 सीटों पर हार ना मिले, इसलिए भी ये समीक्षा जरूरी है और इसलिए भी क्‍योंकि 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक नए लक्ष्य के साथ जाने की तैयारी में जुटी है. 

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