क्या बदायूं सीट से चाचा शिवपाल को नहीं, भाई को मौका देंगे अखिलेश यादव?

बदायूं में आयोजित एक कार्यकर्ता सम्मेलन में आदित्य यादव को उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया. इस सम्मेलन में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव भी मौजूद थे.

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नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने बदायूं सीट से शिवपाल यादव को टिकट दिया है लेकिन लंबे समय से चर्चा थी कि शिवपाल यादव ख़ुद चुनाव ना लड़कर अपने बेटे आदित्य यादव को मैदान में उतारना चाहते हैं. हालांकि कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव (Shivpal Yadav) इसके लिए तैयार नहीं हैं. इधर बदायूं में गुननौर विधानभवन सीट पर सपा कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में आदित्य यादव को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया है. जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव पर दबाव बनाने के लिए ये शिवपाल यादव की रणनीति का यह हिस्सा है. अब सवाल ये है कि क्या अखिलेश शिवपाल यादव की जगह उनके बेटे को प्रत्याशी बनायेंगे?

शिवपाल यादव ने क्या कहा?
समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज एक ऐतिहासिक कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हुआ. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं ने मन बना लिया है कि इसबार इस सीट पर सपा को जीत मिलेगी. आदित्य यादव की उम्मीदवारी को लेकर पूछे गए सवाल पर शिवपाल यादव ने कहा कि सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर दिया गया है. अब यह प्रस्ताव राष्ट्रीय नेतृत्व के पास जाएगा, अब राष्ट्रीय नेतृत्व की सहमति अगर मिल जाती है तो इस पर फैसला होगा.  

धर्मेंद्र यादव ने क्या कहा? 
समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया है कि इस सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज करेंगे. साथ ही जब उनसे आदित्य यादव की उम्मीदवारी को लेकर बात हुई तो उन्होंने कहा कि पहले चाचा के लिए काम करते अब आदित्य के लिए काम करेंगे. धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यहां से हमारी पार्टी को ही जीत मिलेगी. 

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बीजेपी ने संघमित्रा मौर्य का काटा टिकट
बदायूं लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संघमित्रा मौर्य सांसद हैं. भाजपा ने बदायूं संसदीय क्षेत्र में संघमित्रा मौर्य को प्रत्याशी न बनाकर उनकी जगह दुर्विजय सिंह शाक्य को उम्मीदवार घोषित किया है.संघमित्रा अभी हाल ही में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी की स्थापना करने वाले पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पहली सरकार में श्रम मंत्री पद से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. 

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