लोकसभा चुनाव अपने फाइनल दौर में हैं. 1 जून को सातवें फेज में 8 राज्यों की कुल 57 सीटों पर वोटिंग होनी है. इसमें बिहार की कुल 8 सीटें शामिल हैं. शनिवार को बिहार के नालंदा, पाटलिपुत्र, पटना साहिब, सासाराम, काराकट, जहानाबाद, आरा, बक्सर में वोट डाले जाएंगे. आखिरी फेज में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह, सांसद रविशंकर प्रसाद, रामकृपाल यादव, मीसा भारती पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की किस्मत का फैसला होना है. जबकि भोजपुरी स्टार पवन सिंह काराकट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोंक रहे हैं. बिहार में मुख्य मुकाबला NDA और महागठबंधन (INDIA अलायंस में शामिल RJD, लेफ्ट और कांग्रेस) के बीच है. आइए समझते हैं कि 2024 के इलेक्शन में क्या BJP 2019 की कहानी दोहरा पाएगी? या महागठबंधन की शक्ति देखने को मिलेगी?
चुनाव से पहले नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने के लिए देशभर में घूम-घूमकर राजनीतिक दलों से मुलाकात कर रहे थे. नीतीश INDIA अलायंस की कई बैठकों में भी शामिल हुए. फिर अचानक से मूड के हिसाब से पाला बदल लिया. INDIA करते करते वो एक बार फिर से NDA के हो लिए. ऐसे में लगा कि BJP ने बिहार की सियासत पर फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर ली. लेकिन ये बिहार की राजनीति है... यहां 2 और 2 चार नहीं होता. साफ है कि बिहार के आखिरी फेज में BJP का सफर आसान नहीं है. सातवें फेज में BJP ने 5, JDU ने 2, RLM ने 1, RJD ने 3, CONG ने 2 और CPI-ML ने 3 कैंडिडेट उतारे हैं.
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किस सीट पर किस पार्टी का कौन है उम्मीदवार?
उपेन्द्र कुशवाहा काराकाट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ पवन सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे हैं. राजाराम कुशवाहा (CPI-ML) भी चुनाव लड़ रहे हैं. पाटलिपुत्र में राम कृपाल यादव (BJP) और मीसा भारती (RJD) के बीच मुकाबला है. पटना साहिब में रविशंकर प्रसाद (BJP) और अंशुल अविजित (CONG) ताल ठोंक रहे हैं. आरा में आर के सिंह (BJP) और सुदामा प्रसाद (CPI-ML) के बीच मुकाबला है. बक्सर में मिथिलेश तिवारी BJP कैंडिडेट हैं. RJD ने जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि पूर्व IPS अधिकारी आनंद मिश्रा निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. सासाराम में BJP ने शिवेश राम को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने मनोज कुमार को टिकट दिया है.
2019 के लोकसभा चुनाव में सातवें फेज में किसे क्या मिला?
2019 में बिहार की जिन सीटों पर सातवें फेज में वोटिंग हुई, उनमें NDA ने 8 सीटें जीती. वोट शेयर 50% रहा. BJP ने 5 सीटें जीती और वोट शेयर 34% रहा. JDU ने 3 सीटें जीती और वोट शेयर 16% रहा. MGB का वोट शेयर 36% रहा, लेकिन कोई सीट नहीं मिली. RJD को 15% वोट मिली और खाता नहीं खुला. कांग्रेस को 8% वोट मिले, लेकिन कोई सीट नहीं मिली थी.
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क्या NDA को फिर से मिलेगी कामयाबी?
पिछली बार NDA का स्ट्राइक रेट 100% था. 8 की 8 सीटें जीती थी. क्या जीत के इस स्वाद को NDA गठबंधन फिर से चख पाएगा? या महागठबंधन डेंट लगा देगा? इस सवाल के जवाब में राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "अगर आपने पिछले चुनाव में 8 में से 8 सीटें जीती हैं, तो इसबार थोड़ी मुश्किल हो सकती है. इसके कई कारण हैं. क्योंकि कई सांसद तीसरे कार्यकाल के लिए लड़ रहे हैं. जाहिर तौर पर एंटी इंकमबेंसी हो सकती है. नीतीश कुमार के पाला बदलने की वजह से उनकी इमेज में काफी डेंट आया है. चुनाव में JDU और BJP को इसका असर दिखेगा."
RJD का मजबूत पक्ष क्या?
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी कहते हैं, "बिहार में लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. वो रोज़गार की बात कर रहे हैं. उनकी रैलियों की भीड़ सुर्खियां बनी हुई है. ऐसे में ये देखना भी दिलचस्प होगा कि सातवें फेज में तेजस्वी यादव की लोकप्रियता को RJD भुना पाएगी या नहीं."
क्या काराकट में चौकाएंगे नतीजे?
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "निश्चित रूप से इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. भोजपुरी स्टार और सिंगर पवन सिंह की फैन फॉलोइंग अच्छी खासी है. इसे वो चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगे. उपेंद्र कुशवाहा जरूर कुशवाहा समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन उनकी स्थिति भी स्टेबल नहीं रही. वो कभी NDA में रहते हैं, कभी गठबंधन छोड़ देते हैं. वोटिंग के समय इसका असर तो दिखेगा ही."
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