Analysis: स्मृति या किशोर... अमेठी में किसका शोर? 20 साल के आंकड़ों से समझें वोटिंग ट्रेंड के मायने

यूपी की रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती है. राहुल गांधी इस बार केरल की वायनाड सीट के साथ रायबरेली से चुनावी मैदान में हैं. जबकि अमेठी में कांग्रेस ने स्मृति ईरानी के सामने केएल शर्मा को उतारा है.

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स्मृति ईरानी ने 2019 के चुनाव में अमेठी में बड़े अंतर से राहुल गांधी को हरा दिया था.
अमेठी:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के पांचवें फेज में सोमवार को 6 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों पर मतदान हुआ. इसमें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की 14 सीटें शामिल थी. यूपी की हाईप्रोफाइल सीट कही जाने वाली रायबरेली और अमेठी सीट पर भी आज वोटिंग हुई. अमेठी में बीजेपी की तरफ से स्मृति ईरानी (Smriti Irani) मैदान में हैं. जबकि कांग्रेस ने उनके सामने नॉन-गांधी कैंडिडेट केएल शर्मा को उतारा है. दूसरी ओर, राहुल गांधी पहली बार रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं. ये सोनिया गांधी की सीट थी. उनके राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद रायबरेली सीट खाली हो गई थी. बीजेपी ने इस सीट से दिनेश प्रताप सिंह को मौका दिया है. बीएसपी ने ठाकुर प्रसाद यादव को खड़ा किया है. पिछले 4 चुनावों के मुकाबले, अमेठी और रायबरेली में ज्यादा वोटिंग (प्रोविजनल) हुई. आइए 2019 से 2004 के आंकड़ों से समझते हैं कि अमेठी में स्मृति ईरानी या केएल शर्मा... किसकी हवा है? ज्यादा वोटिंग से बीजेपी या कांग्रेस किसका फायदा या नुकसान होगा.

अमेठी में कितने पर्सेंट हुई वोटिंग? 
शाम 6 बजे तक के ओवरऑल प्रोविजनल डेटा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर 57.8% वोटिंग हुई है. इन्हीं सीटों पर 2019 के इलेक्शन में 58.6% वोटिंग हुई थी. अमेठी में कुल 54.17% वोटिंग हुई. अमेठी के गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र में 55.16%, अमेठी में 51.43%, तिलोई में 56.47%, जगदीशपुर में 53.2% और सलोन में 54.66% वोटिंग हुई. पिछले 4 चुनावों को देखें, तो इस सीट पर वोटिंग पर्सेंटेज बढ़ा है.

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2019 के आम चुनावों में अमेठी में 54.05% वोटिंग हुई थी. बीजेपी कैंडिडेट स्मृति ईरानी को कुल 4,68,514 वोटों से जीत मिली. उन्होंने राहुल गांधी को 55,120 वोटों के अंतर से हराया. राहुल को 4,13,394 वोट मिले थे. 2014 के इलेक्शन में अमेठी में कुल 8,74,872 वोट पड़े थे. 52.39% मतदान हुआ था. राहुल गांधी 408,651 वोटों से जीते थे. उनका वोट शेयर 46.71% था. स्मृति ईरानी को 300,748 वोट मिले. उनका वोट शेयर 34.38% रहा था.

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2009 की बात करें तो, अमेठी सीट पर कुल 646,650 वोट पड़े. 45.16% वोटिंग हुई. राहुल गांधी को 464,195 वोट मिले. उनका वोट शेयर 71.78 रहा था. इस चुनाव में बीजेपी ने अमेठी से आशीष शुक्ला को उम्मीदवार बनाया था. उन्हें 93,997 वोट मिले थे और वोट शेयर  14.54% रहा था.    

2004 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो इस सीट पर 589,596 वोट पड़े थे. 44.50% वोटिंग हुई थी. बतौर कांग्रेस कैंडिडेट राहुल गांधी का ये पहला चुनाव था. उन्हें 390,179 वोट मिले थे. वोट शेयर 66.18% था. बीएसपी कैंडिडेट चंद्र प्रकाश मिश्रा को 99,326% वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के राम विलास वेदांती को 55,438 वोट मिले.

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अमेठी सीट गांधी परिवार की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती रही है. यहां से संजय गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव जीत चुके हैं. राहुल गांधी 2004, 2009 और 2014 में इस सीट से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे. लेकिन 2019 के चुनाव में अमेठी में सबसे बड़ा उलटफेर देखा गया था. बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को कड़े मुकाबले में हरा दिया था. 

समझिए जातिगत समीकरण
अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 1967 में बनाया गया था. तभी से अमेठी नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ रहा है. संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी इस सीट से सांसद चुने गए थे. 2013 में अमेठी की जनसंख्या 15,00,000 थी. जातिगत समीकरण के अनुसार यहां 66.5 प्रतिशत हिंदू हैं और मुस्लिम 33.04 प्रतिशत हैं. 

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रायबरेली में कुल 57.85% हुई वोटिंग
शाम 6 बजे तक के ओवरऑल प्रोविजनल डेटा के मुताबिक, रायबरेली लोकसभा सीट का कुल मतदान 57.85% रहा. इस सीट के तहत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. बछरावां में 59.91% वोटिंग हुई. हरचंदपुर में 59.94% मतदान हुआ. रायबरेली में 57.33 वोट डाले गए. सरेनी में 55.39 वोटर टर्नआउट रिकॉर्ड हुआ. ऊंचाहार में 57.08% वोटिंग दर्ज किया गया.

2019 के चुनाव में रायबरेली सीट पर 56.34% वोट पड़े थे. सोनिया गांधी को 534,918 वोट मिले थे. उनका वोट शेयर 55.80% था. दूसरे नंबर पर बीजेपी दिनेश प्रताप सिंह थे. उन्हें 367,740 वोट मिले. वोट शेयर 38.36% रहा. 2014 के इलेक्शन में 51.73% वोटिंग हुई. सोनिया गांधी को 526,434 वोट मिले. वोट शेयर 63.80% रहा. बीजेपी के अजय अग्रवाल को 173,721 वोट मिले. वोटर शेयर 21.05 रहा.

2009 के चुनाव की बात करें, तो रायबरेली में 48.33% वोटिंग हुई थी. सोनिया गांधी को 481,490 वोट मिले. बीएसपी के आरएस कुशवाहा को 109,325 वोट मिले. 2004 के इलेक्शन का डेटा देखें, तो कुल 47.42% वोटिंग हुई थी. सोनिया गांधी को 378,107 वोट मिले. सपा के अशोक कुमार सिंह को 128,342 वोट मिले.

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रायबरेली का सियासी समीकरण समझिए
रायबरेली में पासी समुदाय का वोट करीब 27% है. ब्राह्मण का वोट पर्सेंटेज 11%, जबकि पिछड़ों का वोटबैंक 23% है और क्षत्रिय सिर्फ 6% हैं. 1998 के बाद से बीजेपी इस सीट पर भगवा लहराने की कोशिश में लगी है. हालांकि, 2004 और 2009 के चुनावों में बीजेपी प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे. इसके बाद 2014 में मोदी लहर ने रायबरेली में बीजेपी का बेस बना दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट दिनेश कुमार शर्मा ने सोनिया गांधी को कांटे की टक्कर दी. पिछले चुनाव में सोनिया गांधी का वोट शेयर 55.80% था, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 17.31 फीसदी बढ़कर 38.35 तक पहुंच गया. चुनाव में बीजेपी ने पिछड़ों और क्षत्रिय मतदाताओं पर पकड़ बनाने के लिए बेहतर होमवर्क किया. बेशक बीजेपी ये सीट जीत नहीं पाई, लेकिन जीत का फॉर्मूला जरूर मिल गया. इसे इस बार के चुनाव में इस्तेमाल किया जा रहा है.

वोट पर्सेंटेज बढ़ने के मायने?
रायबरेली में कांग्रेस के वर्चस्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के बाद से सिर्फ 3 बार साल 1977, 1996 और 1998 में ही कांग्रेस यहां से हारी है. सोनिया गांधी ने 2004 से लगातार 4 बार रायबरेली का प्रतिनिधित्व किया. 2024 के इलेक्शन में उन्होंने ये सीट खाली कर दी और राजस्थान से राज्यसभा चली गईं. अब राहुल गांधी इस सीट से चुनावी मैदान में हैं. ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. लिहाज वोट पर्सेंटेज बढ़ना जाहिर तौर पर कांग्रेस के लिए गुड न्यूज है. कांग्रेस को भरोसा है कि यहां के वोटर्स इस बार भी गांधी परिवार का साथ देंगे.

दूसरी ओर, अमेठी में इसबार गैर-गांधी को कांग्रेस कैंडिडेट बनाया गया है. गांधी परिवार के सहयोगी किशोरीलाल शर्मा इस चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी का सामना कर रहे हैं. अमेठी में भी वोट पर्सेंटेज पिछले चुनावों के मुकाबले बढ़ा है. हालांकि, ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव में नहीं होने पर कांग्रेस वोटर्स में कुछ असंतोष है. जबकि स्मृति ईरानी अभी से अपनी एकतरफा जीत का दावा कर रही हैं. अब ज्यादा वोटिंग से किसे फायदा हुआ और किसका नुकसान ये तो 4 जून को पता चलेगा. लेकिन ज्यादा वोटर टर्नआउट ने दोनों पार्टियों का भरोसा जरूर बढ़ा दिया है.

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