LokSabha Election 2024 Result: इंदौर में गजब हो गया, बीजेपी के शंकर ने 11 लाख से अधिक वोटों से बनाया, जीत का महारिकार्ड

लालवानी ने इकनी बजी जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दिया.उन्होंने कहा कि इंदौर में बीजेपी की जीत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की जीत है. लालवानी ने कहा कि इंदौर में चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद कांग्रेस ने 'नकारात्मक भूमिका' निभाई.

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नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश की इंदौर सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज की गई है. इंदौर लोकसभा क्षेत्र में निवर्तमान सांसद और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उम्मीदवार शंकर लालवानी ने मंगलवार को 11,75,092 वोट के विशाल अंतर से चुनाव जीतकर रिकॉर्ड कायम किया. इस सीट पर बीजेपी का 35 साल पुराना कब्जा बरकरार रखा.यह मौजूदा लोकसभा चुनाव में देश भर की 543 सीट में संभवत: जीत का सबसे बड़ा अंतर है.

अपने उम्मीदवार के पर्चा वापस लेने के कारण कांग्रेस के इंदौर में चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद लालवानी ने 12,26,751 वोट हासिल किए. लालवानी के निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी संजय सोलंकी को 51,659 मतों से संतोष करना पड़ा.वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख वोट से हराया था.

ऐतिहासिक जीत पर क्या बोले लालवानी

इंदौर में इस बार 'नोटा' (NOTA) को 2,18,674 वोट हासिल हुए और यह भी एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड है.

लालवानी ने अपनी जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दिया.उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा,''इंदौर में बीजेपी की जीत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की जीत है.'' लालवानी ने कहा कि इंदौर में चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से 'नोटा' की अपील करके 'नकारात्मक भूमिका' निभाई.

उन्होंने कहा,''पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार (पंकज संघवी) को जितने वोट मिले थे, इस बार उसके आधे वोट भी कांग्रेस के समर्थन वाले नोटा को नहीं मिल सके.यह दर्शाता है कि इंदौर की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है.''लालवानी ने कहा कि वह सांसद के तौर पर अपने नए कार्यकाल के दौरान इंदौर में यातायात, पेयजल और पर्यावरण के क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए काम करेंगे.

कांग्रेस उम्मीदवार ने वापस ले लिया था पर्चा

इंदौर में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया था.वह इसके तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए थे. नतीजतन इस सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ से बाहर हो गई.इसके बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से अपील की कि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर 'नोटा' का बटन दबाकर बीजेपी को सबक सिखाएं.

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