Lok Sabha Election 2024: आगरा सीट पर किसे मिलेगी जीत? जानें कैसा है समीकरण

पिछले 15 साल में आगरा आरक्षित सीट बीजेपी का गढ़ बन चुकी है. यहां से साल 2009, 2014 और 2019 में बीजेपी लगातार तीन बार जीत हासिल कर चुकी है. मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल लगातार दूसरी बार इस संसदीय क्षेत्र में चुनाव मैदान में है.

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2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती की राजनीतिक साख दाव पर है.
नई दिल्ली:

Agra Lok Sabha Elections: आगरा में सात मई को होनेवाले मतदान से पहले राजनीतिक माहौल गरमा गया है. उत्तर प्रदेश कि दलित राजधानी माने जाने वाली इस महत्वपूर्ण सीट पर इस बार राजनीतिक समीकरण 2019 के इलेक्शन से बिल्कुल अलग है. शनिवार को बसपा अध्यक्ष मायावती ताज नगरी आगरा की आरक्षित सीट पर अपने उम्मीदवार पूजा अमरोही के समर्थन में कैंपेन करने पहुंची. यहां मायावती के निशाने पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों रहे. 

मायावती ने कहा, "मैं इस बार अकेले ही पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ रही हूं. हमने दलित वर्ग सहित समाज के हर वर्ग के प्रतिनिधियों को टिकट बंटवारे में उचित जगह दी है. हमने आगरा के रिजर्व सीट पर जाटव समुदाय की एक महिला नेता को उम्मीदवार बनाया है.आप अपना वोट बीजेपी या कांग्रेस को नहीं सिर्फ बसपा को दे".

"गलत नीतियों की वजह से सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस"

मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपनी गलत नीतियों की वजह से सत्ता से बाहर हो गई. बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए मायावती ने कहा, "बीजेपी की जातिवादी, रूढ़िवादी, सांप्रदायिक नीति और उनकी कटनी और करनी में फर्क से ऐसा लगता है कि इस बार बीजेपी की आसानी से केंद्र में सत्ता में वापसी नहीं होने वाली है. देश में महंगाई बढ़ रही है, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार भी खत्म नहीं हुआ है. देश की सीमाएं भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है.आपको आम चुनाव में बीजेपी कांग्रेस और उनके सहयोगी पार्टियों को आने से जरूर रोकना है."

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2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती की राजनीतिक साख दाव पर है. 2019 में सपा के साथ उन्होंने चुनाव लड़ा था और उनके 10 सांसद जीत कर आए थे. इस बार वह अकेले चुनाव मैदान में है. 2019 के मुकाबले 2024 में राजनीतिक समीकरण बिल्कुल अलग है.

BJP से एसपी सिंह बघेल हैं मैदान में

आगरा से बसपा उम्मीदवार, पूजा अमरोही ने एनडीटीवी से कहा, "जाटव वोट यहां महत्वपूर्ण है...बहुत ही मजबूती से जाटव और वाल्मीकि समुदाय के लोग बसपा के साथ खड़े हैं". पिछले 15 साल में आगरा आरक्षित सीट बीजेपी का गढ़ बन चुकी है. यहां से साल 2009, 2014 और 2019 में बीजेपी लगातार तीन बार जीत हासिल कर चुकी है. मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल लगातार दूसरी बार इस संसदीय क्षेत्र में चुनाव मैदान में है.

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केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने एनडीटीवी से कहा, "पिछली बार 2019 के चुनाव में जब बसपा, सपा और RLD एक साथ लड़े थे तो RLD का हैंड पंप हाथी को पानी पिला रहा था. तब हमने 2 लाख से ज्यादा वोट से चुनाव जीता था. इस बार RLD हमारे साथ है तो हैंड पंप के पानी से इस बार कमल खिल रहा है. लेकिन इस बार सपा और बसपा अलग चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार मायावती के समर्थक सिर्फ बसपा को वोट देंगे और सपा के समर्थक सिर्फ सपा के उम्मीदवार को वोट देंगे. 2019 में बसपा ने 10 सीटें जीती थी. क्योंकि उसे समाजवादी पार्टी के वोटरों का का समर्थन मिला था. उत्तर प्रदेश में इस बार सिर्फ 5-7 लोकसभा सीटों पर चुनाव होते हुए दिखेगा. बाकी हर सीट पर बीजेपी की जीत पक्की है.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दौरान पिछले 10 साल में जो सरकारी योजनाओं का बेहतर कार्यान्वयन हुआ है उसका लाभ समाज के एक बड़े तबके को हुआ हैय

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आगरा सीट मैं करीब 20 लाख रजिस्टर्ड मतदाता है. इनमें से:

  • वैश्य: 4.50 लाख. 
  • जाटव: 3:50 लाख 
  • मुस्लिम: 3 लाख 
  • ब्राह्मण: 2 लाख 
  • ठाकुर/Kshatriya: 1.25 लाख 
  • बघेल: 1.25 लाख 

आगरा में वैश्य समुदाय के बाद सबसे ज्यादा मतदाता जाटव है. उन पर मायावती की भी नजर है और सपा की भी. 
INDIA ब्लॉक की तरफ से समाजवादी पार्टी ने जाटव नेता सुरेश चंद्र कर्दम को उम्मीदवार बनाया है. पेशे से व्यापारी हैं और यहां के जाटव और मुस्लिम वोटरों पर उनकी विशेष नजर है.

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