पटना और मुंबई के बाद 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) की एक बड़ी रैली हुई. 23 जून 2023 को बिहार की राजधानी पटना में पहली बैठक के बाद बिखरता-संभलता ये गठबंधन देश की राजधानी दिल्ली पहुंचा. इस बार मंच पर 'हैवीवेट' नेताओं का वजन कुछ कम था, जैसे नीतीश कुमार और जयंत यादव गठबंधन से अलग हो गए हैं, तो वहीं स्वास्थ्य कारणों से लालू यादव, ममता बनर्जी, और जेल में होने की वजह से अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन मंच पर उपस्थित नहीं थे, लेकिन शब्दों के 'वजन' से उस कमी को भरने की कोशिश की गई. नए तेवर के साथ 'इंडिया' के नेताओं ने हर हाल में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'हैट्रिक' लगाने से रोकने के लिए विपक्ष की तरफ से एजेंडे की 'पिच' तैयार की. हालांकि सवाल ये भी है कि इसमें वो कितने कामयाब हो पाएंगे?
इस बार की रैली में नए तेवर और नए कलेवर देखने को मिले, मसलन मंच पर महिला 'शक्ति' की बड़ी संख्या में मौजूदगी से, लोगों के बीच इस गठबंधन को लेकर विश्वास बढ़ता दिखा. कई मुद्दे ऐसे होते हैं, जो पुरुष के मुकाबले महिला की अपील लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में ज्यादा प्रभावी होते हैं.
अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नियां सुनीता केजरीवाल और कल्पना सोरेन हर मंच पर उनके पति के बेगुनाह होने, उन्हें फंसाए जाने और जनता से उनका साथ देने की अपील कर रही हैं.
मंच पर मौजूद प्रियंका गांधी ने विपक्ष की तरफ से चुनाव आयोग से पांच मांगें भी रखी :-
- निर्वाचन आयोग को चुनाव के दौरान सभी पार्टियों को समान अवसर सुनिश्चित करना चाहिए.
- चुनाव आयोग को ईडी और आईटी जैसी एजेंसियों की कार्रवाई रोकनी चाहिए.
- अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन को रिहा किया जाना चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इलेक्टोरल बांड की एक SIT बनाकर जांच हो.
- विपक्षी पार्टियों के जो अकाउंट फ्रीज किए गए हैं, वो तुरंत खोले जाएं.
हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल को ईडी के द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद विपक्ष को जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के नाम पर जैसे एकजुट कर दिया है. वहीं कांग्रेस आईटी की कार्रवाई से परेशान है.
लोकसभा चुनाव से पहले 'इंडिया' के इस 'शक्ति प्रदर्शन' में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, आरजेडी, टीएमसी, एनसीपी, सपा समेत करीब 28 पार्टियों के बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया. अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने जहां मंच से उनका संदेश पढ़ा, वहीं दिल्ली-झारखंड के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी, कांग्रेस के बैंक खाते सीज किए जाने और इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए भ्रष्टाचार का मुद्दा जोरों-शोरों से उठाया गया. नेताओं ने महंगाई और बेरोजगारी को लेकर भी जनता तक साफ शब्दों में अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की गई.
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (इंडिया) के घटक दलों के लोकसभा चुनाव में निष्पक्षता सुनिश्चित किए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करना चाहिए. चुनाव में हेराफेरी करने के उद्देश्य से विपक्षी दलों के खिलाफ जांच एजेंसियों द्वारा की जानी वाली कार्रवाई रोकनी चाहिए. हेमंत सोरेन और अरविन्द केजरीवाल की तुरंत रिहाई की जाए. चुनाव के दौरान विपक्षी राजनीतिक दलों का आर्थिक रूप से गला घोंटने की जबरन कार्रवाई तुरंत बंद होनी चाहिए.''
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है. चुनाव के बीच में ही सबसे बड़े विपक्षी दल के खाते फ्रीज कर दिए गए.'' वहीं कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने दावा किया कि जब तक प्रधानमंत्री मोदी तथा उनकी विचारधारा को सत्ता से नहीं हटाया जाएगा, तब तक देश में सुख और समृद्धि नहीं आ सकती. उन्होंने ये भी कहा कि संविधान बचाने और लोकसभा चुनाव में जीत के लिए विपक्षी दलों को एकजुट होकर लड़ना है.
उन्होंने कहा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भाजपा की ''आसन्न हार के मद्देनजर बढ़ती हताशा'' को दर्शाती है. इनकी गिरफ्तारी से ‘इंडिया' गठबंधन कमजोर नहीं होगा. ये हमारे संकल्प को और मजबूत करते हैं. हम सभी राज्यों में ऐसा देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन घट रहा है.
अब सवाल ये भी उठता है कि 'इंडिया' की एकजुटता और उनके उठाए गए मुद्दे जनता तक कितना पहुंच पाए. राजनीतिक विश्वेषकों का कहना है कि देर से ही सही सभी दल एक बार फिर से एक सुर में बात करते दिख रहे हैं और इसका संदेश लोगों के बीच पहुंच भी रहा है. बेरोजगारी और महंगाई तो सीधे जनता से जुड़े मुद्दे हैं, वहीं इलेक्टोरल बॉन्ड, विपक्ष के खिलाफ ही जांच एजेंसियों का ज्यादा इस्तेमाल, आरोपी नेताओं को बीजेपी में शामिल कर उन्हें क्लीनचीट देने जैसे मुद्दों पर अब जनता बात करने लगी है, हालांकि वो इस पर कितना भरोसा करती है, वो तो आने वाला वक्त ही तय करेगा.
दिल्ली की रैली की हर तरफ चर्चा होने के बाद विपक्षी पार्टियों के कॉन्फिडेंस में इजाफा हुआ है, उन्हें लग रहा है कि अगर साथ मिलकर इन मुद्दों को जनता के बीच जोरदार तरीके से उठाया जाए तो लोगों को अपने पक्ष में करने में कामयाबी मिल सकती है. उनका दावा है कि लोगों के बीच अब विपक्ष के एजेंडे को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं. वो सभी पार्टियों को चुनाव में समान अवसर देने को लेकर सहमत दिखते हैं.