वाराणसी के तुलसी घाट (Tulsi Ghat of Varanasi) पर प्रशासन के लोहे की बैरिकेडिंग लगाने से स्थानीय लोग नाराज हैं. उनका कहना है कि अस्सी घाट (Assi Ghat) के बगल में ये एक मात्र पक्कानुमा घाट है, जहां सालों से आकर वो नहाते रहे हैं. लेकिन अब प्रशासन ने यहां लोहे की जंजीर लगा दी है. जिससे इस पवित्र तुलसी घाट (Tulsi Ghat) पर स्नान करना दूभर हो गया है.
वहीं प्रशासन की दलील है कि इस घाट पर हाल ही में डूबने से कई लोगों की मौत हो गई है. यहां पानी काफी गहरा है. जिसके मद्देनजर इसे नहाने के लिए खतरनाक समझा गया है. इसीलिए एहतियातन यहां बैरिकेडिंग लगाई गई है.
वहीं संकट मोचन मंदिर के महंत का कहना है प्रशासन इसके जरिए ये कहना चाहता है कि 'हम गंगा स्नान ना करें, घाट को त्याग दें.' उन्होंने कहा कि अस्सी घाट से लेकर हनुमान घाट तक सिर्फ तुलसी घाट ही है जहां गंगा जी छोड़ी नहीं है और ये नहाने लायक भी है. अगर यहां खतरा है तो प्रशासन वैसा इंतजाम करे, ना कि घाट को ही बंद कर दे.
महंत ने कहा कि स्थानीय लोग जब यहां नहाने आते हैं तो पुलिस वाले उन्हें चालान काटने की धमकी देते हैं. उन्होंने कहा कि अगर नहाने के दौरान किसी की डूबने से मौत हो जाए तो गंगा स्नान बंद कर दें, ये तो कुछ ऐसा ही है जैसे सड़क हादसा होने पर सड़क ही बंद कर दें, ये तो समझ से परे हैं. ये को जिम्मेदारी से भागने का तरीका है.
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह से घाट को बंद करना हमारी आस्था के साथ खिलावाड़ है. हमें यहां से डंडा मारकर भगाया जाता है. उनका कहना है कि गंगा नदी के अंदर कहीं खतरा है तो वहां बैरिकेडिंग की जानी चाहिए कि इससे आगे ना जाएं, ना कि पूरी तरह घाट को ही बैन कर दें. यहां बाहरी आदमी के लिए अलग से चेतावनी दी जाए ना कि स्थानीय लोगों के नहाने पर ही पाबंदी लगा दी जाए. लोगों ने प्रशासन से जल्द ही इसे खोले जाने की मांग की.
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