UCC पर विधि आयोग को सुझाव भेजने की डेडलाइन बढ़ी, अब 28 जुलाई तक भेज सकेंगे अपनी राय

विधि आयोग का मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा देश के हर नागरिक से जुड़ा है, ऐसे में कोई फैसला लेने से पहले उनकी राय जानना जरूरी है.

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के बारे में सुझाव देने की डेडलाइन बढ़ा दी गई है. सुझाव देने की डेडलाइन 14 जुलाई को खत्म हो रही थी. लेकिन विधि आयोग ने जनता की भारी प्रतिक्रिया को देखते हुए यूसीसी पर सुझाव देने का समय दो सप्ताह यानी 28 जुलाई तक बढ़ा दिया है.

विधि आयोग को समान नागरिक संहिता के मामले में अब तक 50 लाख से भी ज्यादा ऑनलाइन सुझाव मिल चुके हैं. हार्ड कॉपी के जरिए भी सुझाव मिले हैं. माना जा रहा है कि समय सीमा खत्म होते होते इनकी संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है। कुछ संगठनों ने यूसीसी पर व्यक्तिगत सुनवाई की मांग करते हुए कानून पैनल से संपर्क किया है. सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में संगठनों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए आमंत्रित करने पर भी निर्णय लिया जाएगा.

दरअसल, 14 जून को विधि आयोग ने बड़े पैमाने पर जनता और धार्मिक संगठनों से नए विचार आमंत्रित करके यूसीसी पर बहस फिर से शुरू करने का फैसला किया था. विधि आयोग ने कहा था कि जो लोग इसमें दिलचस्पी रखते हैं, वे नोटिस की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर  Membersecretary-lci@gov.in पर अपने सुझाव मेल कर सकते हैं.
सुझावों की हार्ड कॉपी नई दिल्ली के खान मार्केट स्थित भारतीय विधि आयोग के दफ्तर में भी भेजी जा सकती है.

इससे पहले 21वें विधि आयोग ने साल 2018 में इस मद्दे की जांच और दो मौकों पर सभी हितधारकों से विचार मांगे थे. इसके बाद अगस्त 2018 में पारिवारिक कानून में सुधार को लेकर एक परामर्श लेटर जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि यूसीसी का मतलब देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना है, जो धर्म पर आधारित नहीं है. हालांकि, इस परामर्श लेटर को जारी किए हुए तीन साल से अधिक का समय बीत चुका है. इसलिए 22वें विधि आयोग ने इस पर नए सिरे से विचार-विमर्श किया. 

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूसीसी का यह मतलब नहीं है कि सब धर्मों की रस्में, रीति-रिवाज और पहनावे एक जैसे हो जाएंगे. इसका मतलब सिर्फ यह है कि जिस तरह आपराधिक मामलों (जैसे चोरी, डकैती, दुष्कर्म, हत्या) में सभी पर एक कानून लागू होता है, वैसे ही सिविल मामलों (जैसे विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, गोद लेना, संपत्ति का बंटवारा आदि) में भी सभी के लिए समान कानून होंगे.

पीएम मोदी ने भोपाल की रैली में उठाया था UCC का मुद्दा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को मध्य प्रदेश में एक जनसभा के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा कि वर्तमान में UCC के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है. एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो वो घर नहीं चल पाएगा. ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ.

कांग्रेस समेत कई दल कर रहे विरोध
यूनिफॉर्म सिविल कोड को कांग्रेस, AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन आवैसी समेत विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी पर मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बताया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड ने भी इसपर मीटिंग बुलाई और अपना पक्ष विधि आयोग के सामने रखा.
 

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