भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी (Hockey) है लेकिन हॉकी के विकास को लेकर न तो राष्ट्र हड़बड़ी में है ना राज्य. जनता का नाम मत लीजिए. जनता तो क्रिकेट के साथ करवट ले रही है. क्रिकेट की प्रयोजन को लेकर हज़ारों कंपनी लाइन में लग जाते हैं लेकिन राष्ट्रीय खेल हॉकी (National Game Hockey) की बात आती है तो इन कंपनियों का राष्ट्र भावना कहीं गायब हो जाती है. हॉकी को प्रायोजक ही नहीं मिलते हैं. आप याद होगा जब भारतीय पुरुष और महिला टीम ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन किया तो सब खिलाड़ियों की मेहनत में अपना हिस्सा जोड़ने पहुंच गए. हॉकी के विकास के लिए ओडिशा (Odisha) सरकार जो कदम उठा रही वो तारीफ योग्य है.
एक समय था जब भारतीय हॉकी टीम को कोई प्रायोजक नहीं मिल रहे थे लेकिन आज ओडिशा सरकार प्रायोजक बन गई है. पैसा खर्च की तब जाकर खिलाड़ियों को सुविधा मिली और खिलाड़ी ओलिंपिक के लिए ठीक से तैयारी कर पाए. भारत में क्रिकेट स्टेडियम नेता के नाम पर बन रहे हैं. स्टैंड उद्योगपति के नाम बन रहे हैं लेकिन कोई हॉकी स्टेडियम को अपने नाम क्यों नहीं बना रहा है ऐसे भी अपना नाम कैसे देंगे क्योंकि भारत में अच्छा हॉकी स्टेडियम ही नहीं है. 2018 में ओडिशा ने हॉकी वर्ल्ड कप का सफलतापूर्वक आयोजन किया था.
भुवनेश्वर के कलिंग स्टेडियम में आयोजन हुआ था. 2023 में भी ओडिशा हॉकी वर्ल्ड कप का आयोजन करने जा रहा है. इस के लिए भारत का सबसे बड़ी हॉकी स्टेडियम सुंदरगढ़ के राउरकेला में बन रही है.सुंदरगढ़ तो हॉकी का गढ़ है.ओडिशा के लगभग सभी राष्ट्रीय खिलाड़ी सुंदरगढ़ से ही हैं. भारत का यह सबसे बड़ी हॉकी स्टेडियम होगी. इस स्टेडियम का नाम किसी नेता के नाम से नहीं रखा गया है. इसका का बिरसा मुंडा अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम है. यहां 20000 लोग एक साथ बैठकर मैच देख सकते हैं. जहां बीस हज़ार लोग बैठ सकते हैं वो भारत का सबसे बड़ी हॉकी स्टेडियम बन गया. इसे आप अंदाज़ लगा सकते राष्ट्र खेल को लेकर राष्ट्र और राष्ट्र भक्तों को कितना चिंता है.
आजतक बीस हज़ार कैपेसिटी वाली हॉकी स्टेडियम देश में नहीं है. बिरसा मुंडा स्टेडियम को बनाने के लिए लगभग 250 लोग लगे हैं. पूरी स्टेडियम कॉम्प्लेक्स 35 एकर है जब स्टेडियम 15 एकड़ में बन रही है. इस स्टेडियम के लिए कुल 300 करोड़ का बजट सैंक्शन हुई है. इस स्टेडियम में एक सुरंग भी बन रही है जो चेंजिंग रूम और प्रैक्टिस पिच को जोड़ेगा. फिटनेस सेंटर के साथ साथ हाइड्रोथेरपी पूल भी बन रही है.
ओडिशा जैसे राज्य हॉकी को लेकर इतना सोच रही है. जब ओलिंपिक में पदक जीतने की बात आती है सभी चाहते हैं कि भारत में हॉकी में गोल्ड मैडल जीते लेकिन जब हॉकी को आगे बढ़ाने की बात आती है तो सब पीछे हट जाते हैं. हॉकी को उसका हक नहीं मिला. खाली राष्ट्रीय खेल कह देने से कुछ नहीं होगा. राष्ट्र के साथ साथ लोगों को इस खेल को प्यार करना चाहिए तब जाकर एक स्टेडियम बनेगा, अच्छा खिलाड़ी निकलेंगे और पदक भी मिलेंगे.
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