विश्व अनुवाद दिवस पर Koo ने  यूज़र्स को दिया ट्रांसलेशन फीचर का तोहफा

कू की स्थापना मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं में एक माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी. कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध, भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं.

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नेता, सेलेब्स और प्रमुख हस्तियां अब इस फीचर का उपयोग करके बड़े पैमाने पर दर्शकों से जुड़ सकेंगे.
नई दिल्ली:

माइक्रोब्लॉग्गिंग प्लेटफार्म कू, जो भारतीयों को अपनी भाषाओं में जुड़ने और बात करने में सक्षम बनाता है इस विश्व अनुवाद दिवस पर लाया है तोहफा. अब यूज़र्स आठ भाषाओं में रियल टाइम अनुवाद का आनंद उठा सकते है.

यह अनोखा फीचर कू के हिंदी, मराठी, कन्नड़, तमिल, असमिया, बंगाली, तेलुगु और अंग्रेजी में स्वचालित अनुवाद को सक्षम बनाता  है साथ ही साथ उनकी डिजिटल पहुँच को भी बढ़ाता है.  इससे भारत की समृद्ध भाषा विविधता के बीच यूज़र्स खुद को बेहतर  तरीके से ज़ाहिर कर पाएंगे और अपने विचारों को सबसे साझा कर पाएंगे. कू इस तकनीक-संचालित अनुवाद सुविधा को सक्षम करने वाला दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है.

अपनी बहु-भाषा पेशकशों पर विचार करते हुए, कू के एक प्रवक्ता ने कहा, “भारत एक अनोखा देश है.  यहाँ हज़ारों भाषाएँ और बोलियां है.  ज़्यादातर प्रोडक्ट्स मानकर चलते है की यूज़र्स ग्लोबल भाषा बोलते है जबकि यह भारत के लिए असत्य है.  भारत को उसी की भाषा में बात करने, जुड़ने और खुदको व्यक्त करने का अवसर देने के अलावा हम अनुवाद के इस फीचर के साथ उनका यूज़र अनुभव भी बेहतर बनाना चाहते है. हम यह देखने के लिए उत्साहित है की बड़े पैमाने पर लोगों के बीच अपनी पहुँच बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध हस्तियां इसका कैसे उपयोग करती है. दुनियाभर के किसी और सोशल मीडिया  प्लेटफार्म ने भारतीयों के लिए कभी ऐसी पेशकश नहीं की.  हम भारतीयों के लिए, भारतीयों द्वारा बनाया गया भारत का पहला प्लेटफार्म बनकर खुश हैं!"

अपने लॉन्च के केवल 16 महीनों की अवधि में, कू ने 1 करोड़ से अधिक डाउनलोड प्राप्त किए हैं, जिसमें 50% से अधिक यूज़र्स सक्रिय रूप से हिंदी में कू कर रहे हैं. हम  निकट भविष्य में 10 करोड़ डाउनलोड को अपना लक्ष्य बनाकर चल रहे है. 

चूंकि देशी भाषाओं में अभिव्यक्ति की शक्ति बहुत अधिक है, कू अब भविष्य में 25 क्षेत्रीय भाषाओं को कवर करने के लिए अपनी भाषाओं का विस्तार करना चाहता है. इस प्रकार से एक प्लेटफार्म  को बढ़ावा मिलता है जहां इंटरनेट यूज़र्स  विविध संस्कृतियों, विचारों और धारणाओं का जश्न मना सकें.

कू के बारे में:

कू की स्थापना मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं में एक माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी. कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध, भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं. एक ऐसे देश में जहां भारत का केवल 10% हिस्सा अंग्रेजी बोलता है, वहां एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की अत्यधिक आवश्यकता है जो भारतीय यूज़र्स को व्यापक भाषा अनुभव प्रदान कर सके और उन्हें एक-दूसरे से जुड़ने में मदद कर सके. कू उन भारतीयों की आवाज़ को एक मंच प्रदान करता है जो भारतीय भाषाओं में बातचीत करना पसंद करते हैं.

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