कांवड़ रूट की दुकानों पर 'नेमप्लेट' से कांग्रेस, सपा, बसपा सहित ये नेता क्यों भड़के? कैसे हैं इंतजाम

kawad yatra 2024 : कांवड़ यात्रा को बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बहुत उत्साह रहता है. जानें यहां क्या है तैयारी और कांवड़ यात्रा की किस बात पर हो गया है विवाद...इस रिपोर्ट में जानें किस नेता ने इस विवाद पर क्या कहा...

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kawad yatra 2024 : कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है.

kawad yatra : भगवान शिव के भक्त हर साल कांवड़ यात्रा करते हैं. यह सावन के महीने में की जाती है. कांवड़िए नंगे पैर और भगवा वस्त्र पहन कर यह यात्रा करते हैं. इस साल यह पवित्र यात्रा 22 जुलाई 2024 से शुरू हो रही है. इस यात्रा को लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में खास इंतजाम किए जा रहे हैं. ज्यादातर इन्हीं तीन राज्यों में लाखों की संख्या में लोग कांवड़ यात्रा निकालते हैं. तीनों राज्यों का शासन से लेकर प्रशासन तक कांवड़ियों के इंतजाम में लगा हुआ है. 

यूपी में फिर होगी हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 जुलाई से प्रारंभ हो रही पावन कांवड़ यात्रा की तैयारियों की बुधवार को समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि अगले 72 घंटे में कांवड़ यात्रा मार्गों की मरम्मत का शेष काम पूरा कराएं. कावंड़ यात्रा से संबंधित हर जिले की हर सड़क की मरम्मत का शेष काम अगले 72 घंटे में पूरा कर लिया जाए. पूरे कांवड़ यात्रा रूट की साफ-सफाई कराई जाए. यह क्रम पूरे माह जारी रहना चाहिए. कहीं भी गंदगी अथवा जलभराव नहीं होना चाहिए. साथ ही पूरे कांवड़ यात्रा मार्ग पर अच्छी प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए. इसके लिए अतिरिक्त स्ट्रीट लाइट लगवाई जाए, ट्रांसफार्मर की व्यवस्था भी रहे. श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए यह उचित होगा कि यात्रा मार्ग पर आमजन के सहायतार्थ शिविर लगाएं. यहां शीतल पेयजल, शिकंजी वितरण आदि का भी प्रबंध हो. शिविर लगाने में सामाजिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाना चाहिए. यात्रा मार्ग की ड्रोन से निगरानी कराई जाए और प्रमुख अवसरों पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी कराई जाए.

हरिद्वार के कांवड़ मेले के लिए स्पेशल ट्रेनें

उत्तर रेलवे ने उत्तराखंड के हरिद्वार में 22 जुलाई से 19 अगस्त तक आयोजित होने वाले कांवड़ मेले में आने वाले कांवड़ियों की सुविधा के लिए कई प्रबंध किए हैं. उत्तर रेलवे ने मीडिया को दिए गए एक बयान में कहा कि उसने ट्रेन संख्या-04465/66 (दिल्ली-शामली-दिल्ली) और 4403/04 दिल्ली-सहारनपुर-दिल्ली की सेवाओं को हरिद्वार तक बढ़ा दिया है. उत्तर रेलवे कांवड़ मेले में जाने के लिए पांच स्पेशल ट्रेन भी संचालित करेगा, जिसमें ट्रेन संख्या- 04322 (मुरादाबाद-लक्सर-मुरादाबाद), 04324 (हरिद्वार-दिल्ली-हरिद्वार), 04330 (ऋषिकेश-दिल्ली-ऋषिकेश), 04372 (ऋषिकेश-लखनऊ चारबाग-ऋषिकेश) और 04370 (ऋषिकेश-बरेली-ऋषिकेश) शामिल है. एनआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया, ''यात्री वहन क्षमता बढ़ाने के लिए 24 ट्रेनों में अतिरिक्त डिब्बे जोड़े जाएंगे और यात्रियों की मांगों को पूरा करने के लिए मेले के दौरान चलने के लिए तीन खाली कोच रेक तैयार रखे जाएंगे.''

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उत्तराखंड के हरिद्वार में ऐसे होंगे इंतजाम

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कांवड़ यात्रा को लेकर बेहद सक्रिय हैं. हरिद्वार पहुंच रहे कांवड़ियों की सुविधा के लिए नगर निगम कांवड़ पटरी मार्ग पर दो विश्राम स्थल बनाएगा. एक विश्राम स्थल पंचशील मंदिर के पास और दूसरा शिव मंदिर के पास होगा. दोनों विश्राम स्थल वाटरप्रूफ होंगे ताकि बारिश से बचाव हो सके. इसके अलावा कांवड़ यात्रियों के नहाने के लिए भी फव्वारा लगाया जाएगा. कांवड़ पटरी पर मोबाइल शौचालयों का भी प्रबंध किया जाएगा. बैठक के बाद बताया गया कि कांवड़ यात्रियों के लिए 300 स्ट्रीट लाइटें लगाई जा रही हैं. वहीं, कांवड़ यात्रा के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने 22 जुलाई से चार अगस्त तक हरिद्वार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों की छुट्टियां रद्द करने के आदेश जारी किए हैं. चेतावनी दी है कि कांवड़ यात्रा के दौरान यदि कोई डॉक्टर या स्टाफ ड्यूटी से अनुपस्थित पाया गया तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी.

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बिहार में क्या है व्यवस्था?

कांवड़िया के जाने वाली सड़क को ठीक किया जाए. कच्ची कांवड़िया पथ सुल्तानगंज से देवघर तक 110 किलोमीटर है, इसमें लगभग 84 किलोमीटर बिहार के अंदर है. उप मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस पथ में कांवड़ियों की सुविधा के लिए रेत का बिछाव समय पर पूरा किया जाए. साथ ही पांच किलोमीटर के वन क्षेत्र में भी श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम हो, इसका भी ध्यान रखा जाए. कांवड़िया पथ में 4.5 मीटर की चौड़ाई एवं 50 मिलीमीटर की मोटाई में गंगा की रेत का बिछाव किया जाता है. पैदल यात्रा में रेत की ठंडक बनाए रखने के लिए नियमित रूप से पूरे रास्ते में जल का छिड़काव किया जाता है.

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यूपी में इन बातों पर रोक

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान हथियारों के प्रदर्शन पर रोक लगाने के संबंध में एक एडवाइजरी जारी की है. एक महीने तक चलने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे और धार्मिक गाने तय सीमा के भीतर बजाए जाएंगे. डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि यात्रा के मद्देनजर यातायात व्यवस्था में बदलाव किया गया है. यात्रा शुरू होने वाले मार्गों पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक रहेगी. इसके अलावा 21 जुलाई की मध्य रात्रि से दिल्ली एक्सप्रेसवे, देहरादून एक्सप्रेसवे और चौधरी चरण सिंह कांवड़ मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक रहेगी. डीजीपी ने आगे कहा कि कांवड़ियों को भाला, त्रिशूल या किसी भी तरह का हथियार लेकर न चलने की सलाह दी जाती है. कांवड़ यात्रा मार्ग पर डीजे बजाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन ध्वनि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार तय सीमा के भीतर होनी चाहिए. यात्रा मार्गों पर शराब और मांस की दुकानें भी बंद रहेंगी. स्थानीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि सूअर जैसे आवारा जानवर यात्रा मार्गों पर घूमते न दिखें. अयोध्या-बस्ती मार्ग पर सामान्य यातायात प्रतिबंधित रहेगा. इस पर केवल एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों को ही जाने की इजाजत होगी.

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कांवड़ यात्रा की किस बात पर हुआ विवाद?

सहारनपुर डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कांवड़ के रास्ते में पड़ने वाली दुकानों के ऊपर उनके प्रोप्राइटर्स का नाम लिखने का आदेश जारी किया है. आईएएनएस से उन्होंने इसके पीछे की अहम वजह भी बताई. उन्होंने तर्क दिया, “कांवड़ मार्ग को लेकर जैसा प्रत्येक वर्ष होता रहा है, कुछ लोगों ने इस बात की आपत्ति प्रकट की थी कि जब कांवड़िए आते हैं तो सामान की कीमतों को लेकर विवाद पैदा होता है. इसके साथ ही दुकान किसी और की और नाम किसी और व्यक्ति का लिखा होने से भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है. इसको देखते हुए जितने होटल, ढाबे या फिर जितनी खानपान की दुकाने हैं, सब को यह आदेश जारी किया गया है. यह आदेश पूरे प्रदेश में जितने भी कांवड़ मार्ग हैं, उन सभी पर लागू होगा. कांवड़ मार्ग के सारे दुकानदार अपनी दुकान पर प्रोप्राइटर का नाम आवश्यक रूप से लिखेंगे. ”

एसएसपी ने पहले दिया था आदेश

इससे पहले मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने भी ऐसा ही एक आदेश जारी किया था जिसका सपा सुप्रीमो से लेकर कई नेताओं ने विरोध किया है. मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा था कि यात्रा शुरू हो चुकी है और हमारे जनपद में लगभग 240 किलोमीटर कांवड़ मार्ग है, इसमें जितने भी खान-पान के होटल ढाबे या ठेले, जहां से भी कांवड़िए अपनी खाद्य सामग्री खरीद सकते हैं, उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि काम करने वाले या संचालकों के नाम वहां जरूर अंकित करें, ताकि किसी भी प्रकार का कोई कंफ्यूजन किसी को न रहे और कहीं भी ऐसी स्थिति ना बने की आरोप प्रत्यारोप लगे और बाद में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो.

मुस्लिम कारीगर हटाए गए

कांवड़ यात्रा में नेमप्लेट विवाद के बाद अब हिंदू होटल से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाया जा रहा है. मुजफ्फरनगर के खतौली बाईपास पर स्थित एक साक्षी ढाबा नाम के ढाबे पर काम कर रहे चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है. मुस्लिम कर्मचारियों को ढाबे से क्यों हटाया गया जब इस बारे में जानने के लिए हमने ढाबे के मालिक से बात की तो उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के लोग आए थे, जिन्होंने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की बात कही. इसके बाद उन्होंने उन चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया है, जिसमें से दो मुस्लिम ढाबे पर कारीगर थे एवं दो मुस्लिम कर्मचारी अन्य काम करते थे. ढाबे के मालिक का कहना है कि मुस्लिम कर्मचारियों को हटवाना ठीक नहीं है मगर दुकानों पर प्रोपराइटर का नाम लिखा जाना सही है क्योंकि कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त फिर अपनी मर्जी से जहां मर्जी वहां खाएं.

इमरान मसूद ने एकता की बात की

सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पुलिस के इस आदेश को तुगलकी फरमान कहा. साथ ही ये भी कहा कि प्रशासन समाज को बांटने का प्रयास कर रहा है. सांसद इमरान मसूद ने कहा, “यूपी पुलिस ने एक तुगलकी फरमान जारी किया है, जो समाज को बांटने का काम करेगा. कांवड़ यात्रा का हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को सम्मान करना चाहिए. उन्हें समाज में एकजुटता का संदेश देना चाहिए. इस तरह की बातें नफरत को बढ़ावा देती हैं, यह फरमान बहुत ही दुखद है.” उन्होंने यह भी कहा कि कांवड़ बनाने वाले लोगों में मुसलमान भी शामिल हैं, कांवड़ियों पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा. कांवड़ियों के पहनने वाले कपड़े सहारनपुर के होजरी में तैयार होते हैं, जो मुस्लिम भाई बनाते हैं. ये लोग हिंदू-मुसलमान को बांटने की बात कर रहे हैं. 

मायावती ने आदेश वापस लेने की मांग की

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने ‘एक्स' पर कहा,''पश्चिमी उप्र व मुजफ्फरनगर जिला के कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेला आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश एक गलत परम्परा है, जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है. जनहित में सरकार इसे तुरंत वापस ले.''

सपा नेता एसटी हसन ने ये कहा

सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन का कहना है कि यह समाज को बांटने की दूसरी साजिश है. ऐसा ही एक ट्रेंड जर्मनी में चला था, जिसमें एक कम्युनिटी को बॉयकॉट करने का संदेश था. हमें ऐसा लगता है कि हिंदू-मुसलमान कर भाजपा सरकार समाज को बांटना चाहती है. उन्होंने कहा कि जो कांवड़ वाले होते हैं, उनमें से 5 या 10 फीसदी ऐसे लोग होते हैं, जो मुसलमान से कुछ भी लेना पसंद नहीं करते. आप एक संदेश दे रहे कि मुसलमान की दुकान से कुछ भी खरीदना बंद कर दें. 

कांग्रेस का आया यह बयान

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-चावल बन जाएगा? ठीक वैसे ही कोई अल्ताफ या रशीद आम-अमरूद बेच रहा है, वो गोश्त तो नहीं बन जाएगा. ये संघ वाले लोग हैं, जो बिना सोचे-समझे काम करते हैं. पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा के रूट पर फल-सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना होगा. इसके पीछे की मंशा बड़ी स्पष्ट है, हिंदू कौन और मुसलमान कौन? हो सकता है कि इसमें जाति भी हो. यूपी सरकार ने जो आदेश जारी किया है, इसके पीछे मंशा है कि कैसे मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार का सामान्यीकरण करना है. इस मंशा को हम कामयाब नहीं होने देंगे. 

असदुद्दीन ओवैसी बरसे

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी नेकांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की आलोचना की. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार, अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले. ओवैसी ने इसकी तुलना दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और जर्मनी में हिटलर के तानाशाही फैसले से करते हुए कहा कि इसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'जूडेनबॉयकॉट' था. 

जावेद अख्तर भड़के

जावेद अख्तर ने एक्स पोस्ट में कहा, "मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिए हैं कि निकट भविष्य में किसी विशेष धार्मिक जुलूस के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्तरां और यहां तक ​​कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए. नाजी जर्मनी में केवल विशेष दुकानों और मकानों को निशान बनाते थे."

अखिलेश यादव ने दिया ऐसा रिएक्शन

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘एक्स' पर कहा, “...और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा?” उन्होंने कहा, “माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं.”

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी बोले...

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गड़बड़ी वाली ..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए...."जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात। रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात।।

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